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मोदी ३.० का साइट इफेक्ट : गरीबों का हुआ बुरा हाल, दाल-रोटी ने बिगाड़ी ताल!

खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर ८.६९% के उच्च स्तर पर

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में मोदी ३.० की सरकार आ गई है पर देश वासियों को महंगाई से छुटकारा नहीं मिलनेवाला। ताजा आंकड़े बताते हैं कि खाद्य खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ी है और फिलहाल ये ८.६९ फीसदी के उच्च स्तर पर है। इसमें रोटी और दाल की कीमतों ने सबसे ज्यादा असर डाला है।
बता दें कि केंद्र सरकार तमाम कोशिश करने के बावजूद खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर पर कंट्रोल नहीं कर पा रही है। इसे बढ़ाने में दाल, प्याज, गेहूं, आलू जैसे रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले खाने के सामानों का सबसे बड़ा हाथ है। बता दें कि खुदरा महंगाई दर घटकर पौने ५ फीसदी पर आने के बावजूद खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर ८.६९ फीसदी के हाई लेवल पर है। जानकारों का मानना है कि हालात आने वाले समय में भी सुधरने के संकेत नहीं दे रहे हैं।
गौरतलब है कि अरहर दाल की खुदरा कीमत २०० रुपए प्रति किलो के पार निकल गई है। निर्यात पर रोक हटने के बाद प्याज की कीमत भी ४० से ६० रुपए किलो पर पहुंच गई है। गेहूं २,२७५ रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। गेहूं के दाम आने वाले दिनों में और भी बढ़ने की आशंका है। दरअसल, गेहूं की कमजोर खरीदारी की वजह से सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक २९९ लाख टन है। यह पिछले साल जून में ३१३ लाख टन था, इससे आने वाले महीनों में गेहूं के दाम बढ़ सकते हैं। रबी की नई फसल के बावजूद मई में गेहूं समेत सभी अनाज की खुदरा कीमत में ८.६९ फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। देश में बढ़ती महंगाई के बीच रोजमर्रा के सामान बेचने वाली एफएमसीजी कंपनियों ने भी आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीते दो-तीन महीनों में इन कंपनियों ने फूड और पर्सनल केयर से जुड़े प्रोडक्ट‌्स के दाम में २ से १७ फीसदी तक का इजाफा किया है। यही नहीं टाटा, डाबर और इमामी जैसी कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि वो भी अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ा सकती हैं। कंपनियां इसकी मुख्य वजह कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी को बता रही हैं।

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