धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में लोकसभा में मिली करारी शिकस्त से घबराई ‘ईडी’ सरकार ने विधानसभा चुनाव में जनता खासकर महिलाओं को अपने पक्ष में करने के इरादे से ‘लाडली बहन’ योजना को शुरू किया था। इस के साथ ही कई और योजनाओं की घोषणा की गई, जिसका काफी हद तक लाभ मिला। हालांकि, योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन करने में ‘ईडी’ २.० सरकार नाकाम रही। इसके चलते अब लाडली बहन समेत लोकलुभावन वाली सभी योजनाएं सरकार के गले की फांस बन गई हैं। आलम यह है कि राज्य को १,१०,३५५ करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ेगा। इस तरह मौजूदा स्थितियां साफ तस्वीर दिखा रही हैं कि महायुति सरकार के शासन में महाराष्ट्र का बजट धरातल पर जा रहा है।
गलत नीतियों के चलते
घाटे में ‘ईडी’ २.० सरकार
`२०,०५१ करोड़ के राजस्व का नुकसान
महाराष्ट्र में जब से महायुति सरकार सत्ता में आई है, राज्य का आर्थिक तंत्र खराब हो गया है। फिलहाल, सरकार के बजट का घाटा बढ़ा है। वर्ष २०२४-२५ के पूर्वानुमान के अनुसार, राज्य की अर्थव्यवस्था में वर्ष २०२३-२४ की तुलना में ७.३ फीसदी की बढ़ोतरी अनुमानित की गई है। यह राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था से ०.८ फीसदी ज्यादा है। ‘समर्थन बजटीय अध्ययन केंद्र’ के मुताबिक, इस साल राज्य के राजस्व ४,९९,४६३ करोड़ रुपए, जबकि खर्च ५,१९,५१४ करोड़ रुपए अनुमानित है। इस लिहाज से राज्य को राजस्व में २०,०५१ करोड़ रुपए और एक लाख १० हजार ३५५ करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ेगा।
फिलहाल, जनवरी तक ३,५१,१४१ करोड़ रुपए का राजस्व जमा हुआ है। दूसरी तरफ विभिन्न विकास कार्यों पर एक लाख ६७,३६७ करोड़ रुपए दो महीनों में खर्च किए जाने हैं। इससे साफ हो रहा है कि यह सरकार योजनाओं के क्रियान्वयन में कितनी गंभीर है।
नहीं हुआ खर्च
वर्ष २०२३-२४ में आदिवासी घटक कार्यक्रमों के लिए १५ हजार १०८ करोड़ २२ लाख निधि प्रस्तावित की गई थी, लेकिन इसमें से केवल १३ हजार ८६५ करोड़ १८ लाख रुपए ही खर्च किए गए, जबकि एक हजार २४३ करोड़ ४ लाख रुपए बिना खर्च के पड़ा रहा। इसी तरह वर्ष २०४-२५ के लिए १५,३६० करोड़ रुपए प्रस्तावित किया गया था, जिसमें से जनवरी २०२५ तक ४,२१५ करोड़ यानी ३३.९५ फीसदी फंड ही खर्च हुआ है। अभी भी ६६.४ फीसदी यानी १० हजार १४४ करोड़ ९९ लाख रुपए खर्च नहीं किए गए हैं, जो सरकार की लापरवाही को उजागर कर रहा है।
पीएम रोजगार सृजन प्रकल्प की घटी संख्या
रोजगार के मौकों में बढोतरी करने के उद्देश्य से वर्ष २००८-०९ से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को चलाया जा रहा है। इसके तहत वर्ष २०२२-२३ में पिछली सरकार ने रोजगार सृजन के लिए तीन हजार ६०७ परियोजनाओं को तैयार किया, लेकिन वर्ष २०२३-२४ में ८८८ परियोजनाएं घटी हैं। इस तरह यह संख्या २,७२७ पर पहुंच गई है। इसी तरह वर्ष २०२४-२५ में इसमें और गिरावट दर्ज की गई है। दिसंबर में इसमें ८९७ परियोजनाएं घटी हैं।