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सीता मुख वनवासी गाथा

राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां
घर-घर बजें बधाए संग हनु आए महक उठी सारी बगियां
चमर समीर डुलाए कोयलिया गाए चहक रहीं डाली चिड़ियां
भयो छिड़काव नगर महकाए सुंदर साज सजाई गलियां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां ।
महल प्रवेश कियो जब सिय ने द्वार पे सासें लेत बलैयां
पांव पखारन झुकीं पतोहू बांह पकड़ लिपटाई छतियां
चौदह बरस विछोह वियोग में नैनन नीर बहे नदियां
आंसू पोंछ बगल बैठाईं हिल मिल सिय से करत बतियां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां ।
वनवास गमन जहां आश्रय पाए सीता सब बतलैयां
अत्रि ऋषि आश्रम में जाकर मां अनुसूया से भेंट करैयां
पतिव्रत धर्म नारि के लक्षण मां अनुसूया‌‌ सिखलैयां
देवीय वस्त्र अद्वितीय गहने सिय को भेंट करैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।
चित्रकूट की पर्णकुटी में तपसी‌ तपलीन भए सैयां
लक्ष्मण लाल प्रहरी बन सेवें‌ कभी न सोएं उनकी‌ अंखियां
मंदाकिनी स्नान ध्यान कर शिव अभिषेक करें सैयां
ऋषियों की रक्षा रत रहकर असुर विहीन करीं घटियां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।
भ्रात मिलन भरत जब आए भेंट मिलन फैली बहियां
सिया आइ सास मां भेंटीं आशीष देंइ ले रहीं बलैंया
भ्रात पादुका सिरोधार्य कर चले भरत अवध लौटैयां
ग्यारह बरस चित्रकूट रह‌ रामा दण्डक वन‌ को कूच‌ करैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाईं खुशियां।5।।
नासिक गांव पंचवट पहुंचे पावन कुटी छबैयां
लंकेश बहन शूर्पणखा सुंदरी कुटी आइ इतरैयां
शादी का प्रस्ताव राम संग लो पकड़ो मेरी बहियां
ना‌ सुनकर खिसियानी ऐसी‌ भीभत्स रूप धरैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।
दौड़ सिया पर हमला करने लक्ष्मण नाक कटैयां
रुदन करत गढ़ लंका पहुंची रावण से हाल बतैयां
राम की नारि सुंदरी भारी मत देर‌ करो‌ जाउ हरलैयां
मन ही मन ललचायो रावण सीताहरण योजना बनैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।
षडयंत्र रचो मारीच बुलायो स्वर्ण मृग रूप सिया दिखलैयां
मृग बध राम लखन वन दौड़े कुटिया सूनी सीता हरलैयां
षड़यंत्र सफल सीता हर लायो अशोक वाटिका लाइ रखैयां
रखवाली त्रिजटा कों सौंपी समझाना पटरानी बनैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।
सिय की खोज हनुमंत पठाए मुद्रिका देइ भेद‌ समझैयां
सागर लांघि‌ सीय ढिंग पहुंचे ले सुधि आय प्रभू बतलैयां
वानर सेना साज सजा कर लंका‌ जाइ चढ़ाई करैयां
साथ विभीषण संग रण भूमि में दशानन मारि‌ गिरैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।
वनवासी जीवंत कहानी बातन बात सिया बतलैयां
शुभ दिन शोधा गुरु वशिष्ठ रामहि राजतिलक करवैयां
राम राज्य स्थापित कर‌के बरस हजारों राज‌‌ करैयां
त्रेतायुग की सुंदर गाथा तुलसी हनुमत संग रचैयां
राम घर आए सिया संग लाए अवध में छाई खुशियां।।
-बच्चू लाल परमानंद दीक्षित
– भिंड/ग्वालियर

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