एक संदेशा/छू लो हृदय के
जाकर कहना/मेरे रघुवर से
विलख रही /इक अबला नारी
कब करेंगे/रघु तैयारी
सब दुःखयन में/तुम्हरी सुकुमारी
आंसुअन से जो/नैन है भारी २
दुःख में वियोगिनी/कैसे रहें
जो कटे न दिन/न कटे रैना
हनुमत इतना/संदेश कहना
थमा न है अब/अश्रु का बहना
वट वृक्ष और/दुःख के संग है
जहां दैत विशाल प्रचंड है
हर क्षण है/दैतों के पहरे
जो भोग – विलास है इनके गहरे
इतना कहना/पुत्र हनुमत…
कैसी है ये/होनी लाचारी….
सब दुःखयन में/तुम्हरी सुकुमारी
आंसुअन से जो/नैन है भारी २
मनोज कुमार गोण्डा उत्तर