मुख्यपृष्ठनए समाचारस्लम विकास का काम रूका!.. सरकार की नीतिगत ढिलाई का असर

स्लम विकास का काम रूका!.. सरकार की नीतिगत ढिलाई का असर

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य की ईडी सरकार की नीतिगत ढिलाई का असर स्लम के विकास पर दिखाई देने लगा है। परिणाम स्वरूप स्लम विकास के कई काम रूक गए है।
बता दें कि झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण के पास स्लम पुनर्वास योजना को विकास नियंत्रण नियमावली व अन्य प्रावधानों से जोड़ने का अधिकार है। इन योजनाओं को संलग्न करते समय कार्पेट क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया गया है। दूसरी ओर झोपु योजना जिस प्रावधान से जुड़ी है, उसके अनुसार कार्पेट क्षेत्र का वितरण किया गया है और यह सही है, शहरी विकास विभाग को लिखे पत्र में स्लम पुनर्वास प्राधिकरण की स्थिति प्रस्तुत की गई है। अपने पक्ष के समर्थन में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश दिलीप भोसले की कानूनी राय संलग्न है। हालांकि ऐसी १८ योजनाओं को मनपा से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन भविष्य में ऐसी योजनाओं को मंजूरी मिलेगी या नहीं, इस बारे में अनिश्चितता के कारण कई योजनाएं लंबित हैं।
स्लम रिहैबिलिटेशन योजनाओं के लिए विकास नियंत्रण नियमावली की धारा ३३ (१०) और झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए ट्रांजिट फ्लैट प्रदान करने के लिए नए नियमावली की धारा ३३ (११) का प्रावधान है। इसके लिए एक स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथॉरिटी प्लानिंग मकेनिज्म है। इन दो प्रावधानों के अलावा, मनपा नियोजन प्राधिकरण अन्य सभी प्रावधानों के लिए जिम्मेदार है और अब से झोपु प्राधिकरण को धारा ३३(१२)(बी) (सड़क और संबंधित आवास पर अतिक्रमण या बाधाओं को हटाना) के प्रावधानों का पालन करना होगा ) और धारा ३३ (१९) (व्यावसायिक उपयोग के मामले में कार्पेट क्षेत्र) झोपु प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि योजनाओं को संलग्न नहीं किया जाना चाहिए और संलग्न योजनाओं को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस पत्र के संबंध में झोपु ऑथॉरिटी ने शहरी विकास विभाग को समझाया है कि उसका निर्णय सही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर विकास विभाग अब क्या पैâसला लेता है। पत्र में यह भी कहा गया है कि अब तक ३३ (१२) (बी) के तहत पांच स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम और ३३ (१९) के तहत १३ स्लम रिहैबिलिरेशन स्कीम को मंजूरी दी गई है।
इस पत्र में प्राधिकरण ने कहा कि विकास नियंत्रण नियमावली में झोपु योजना को ३३ (९) यानी समूह पुनर्विकास को छोड़कर किसी भी प्रावधान से जोड़ने का प्रावधान है।

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