– गलत रणनीति और संसाधनों की बर्बादी
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में मनपा की गलत रणनीति के चलते स्मार्ट पार्किंग प्रोजेक्ट अब तक साकार रूप नहीं ले सका है। दो बार जारी किए गए टेंडर को पर्याप्त प्रतिसाद नहीं मिला, जिससे योजना अटक गई। अब मनपा ने एक ही ठेकेदार को पूरी जिम्मेदारी सौंपने के लिए तीसरी बार नया टेंडर निकाला है।
मनपा ने पहले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए अलग-अलग टेंडर जारी किए, लेकिन इसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई। अगर पहले से ही एक ही ठेकेदार को जिम्मेदारी दी जाती, तो इतना समय और संसाधन बर्बाद नहीं होते।
स्मार्ट पार्किंग को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत लागू करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन मनपा निजी कंपनियों को आकर्षित करने में विफल रही। उच्च लागत और रख-रखाव खर्च के कारण निवेशक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। मनपा ने २० करोड़ रुपए का बजट तय किया, जो इतने बड़े शहर के लिए अपर्याप्त लग रहा है। इसके अलावा वैâमरा आधारित वीडियो एनालिटिक्स और सेंसर तकनीक की व्यावहारिकता पर भी सही मूल्यांकन नहीं किया गया।
योजना की सफलता पर सवाल
मनपा ने यह नहीं आंका कि क्या मुंबईकर इस सिस्टम को अपनाने के लिए तैयार हैं। बिना पायलट प्रोजेक्ट के इसे लागू करने की कोशिश करना एक बड़ी गलती साबित हो सकती है। अब जब तीसरी बार टेंडर जारी किया गया है, तो सवाल उठता है कि क्या यह योजना इस बार सफल होगी? या फिर यह भी मनपा की एक और प्रशासनिक विफलता बनकर रह जाएगी?