मुस्कान

मुस्कान का कोई मोल-तोल नहीं है
ना ही बिकती है ये दुनिया के बाजारों में।
जीभर के लुटाओ इसे फिर देखना यारा
ये जमाना तुम्हारा है।
जिंदगी को एक ‘मधुर मुस्कान’ का ही तो सहारा है।
…वर्ना मुस्कान बिना नीरस जीवन हमारा तुम्हारा है।
-त्रिलोचन

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