मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : संघर्षों से मिली सफलता

समाज के सिपाही : संघर्षों से मिली सफलता

सगीर अंसारी
‘ये फूल कोई हमको विरासत में नहीं मिले हैं, तुमने मेरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा।’ बशीर बद्र की ये पंक्तियां हर्षल दिलीप उस्तुरे के जीवन को पूरी तरह परिभाषित करती हैं। १२वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद एक आर्किटेक्ट कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत हर्षल दिलीप उस्तुरे का जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है।
लातूर के सया खान चिंचूले गांव से ताल्लुक रखनेवाले हर्षल दिलीप उस्तुरे का जन्म वर्ष १९८७ में मुंबई में हुआ। उन्होंने मुंबई में १२वीं तक की शिक्षा सरकारी मराठी माध्यम से पूरी की। मुंबई के गोवंडी स्थित बैगनवाड़ी झोपड़पट्टी में रहते हुए उन्होंने अपना बचपन बेहद तकलीफ में गुजारा। पिता ऑटोरिक्शा चालक थे और मां गृहिणी थीं। शिक्षा को सर्वोपरि माननेवाले माता-पिता ने इन्हें हरसंभव समर्थन किया। तीन बहनों व दो भाइयों में सबसे बड़े हर्षल के दिल में समाजसेवा का जज्बा था और उन्होंने कम उम्र में ही पढ़ाई के साथ-साथ अपने चाचा सिद्धार्थ कड़ाजी उस्तुरे के नक्शेकदम पर चलते हुए समाजसेवा शुरू कर दी थी। गोवंडी जैसे स्लम इलाके में रहते हुए हर्षल ने यहां के लोगों की परेशानियों और समस्याओं को काफी नजदीक से देखा। कहीं भूख तो कहीं पैसों की कमी के चलते अपनी शिक्षा को बीच में छोड़ मेहनत-मजदूरी के काम में लगनेवाले उनके साथियों को देखकर कहीं न कहीं हर्षल का दिल पसीज जाता। हर्षल बड़े होकर क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ करना चाहते थे और अपने इसी जज्बे के चलते उन्होंने अपने चाचा द्वारा किए जानेवाले सामाजिक कार्यों में कदम से कदम मिलाकर चलना शुरू किया। हर्षल का कहना है कि उनके चाचा सिद्धार्थ उस्तुरे ने बैगनवाड़ी क्षेत्र के रहिवासियों को अपना परिवार समझते हुए उनकी हरसंभव मदद की, फिर चाहे घर में अनाज का मसला हो या फिर बच्चे की पढ़ाई का। अपने चाचा के सामाजिक कार्य को देखते हुए हर्षल ने भी समाजसेवा को अपना धर्म बना लिया। कोरोना के दौरान अपने चाचा के साथ जान की परवाह किए बिना हर्षल न केवल घर से बाहर निकले, बल्कि लोगों की मदद की। लोगों की मदद करनेवाले हर्षल दिलीप उस्तुरे ने बताया कि उनके चाचा सिद्धार्थ उस्तुरे एक कर्मठ शिवसैनिक हैं और पिछले कई वर्षों से पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उनकी इस लगन को देखते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने इन्हें शाखा क्रमांक १३६ का शाखाप्रमुख बनाया है।

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