अनिल मिश्र
उल्हासनगर को अपनी जन्मभूमि बतानेवाले सुरेश हरचंदानी जो अभी मेडिकल की पढ़ाई कर ही रहे थे कि उसी बीच उनके चाचा शीतलदास हरचंदानी का स्वर्गवास हो गया। शीतलदास हरचंदानी उल्हासनगर के शांत, सीधे, कर्मठ और मिलनसार विधायक थे, जिन्हें शहर में रहनेवाले दादा के नाम से पुकारते थे। अपने स्वर्गवासी चाचा शीतलदास हरचंदानी की तरह ही सुरेश हरचंदानी का भी स्वभाव है। चाचा द्वारा छोड़े गए कार्य को अब सुरेश हरचंदानी पूरा कर रहे हैं। अपनी मेडिकल की पढ़ाई को छोड़कर सुरेश हरचंदानी लकड़ी की कटाई जैसे व्यवसाय से जुड़ गए। इसके साथ ही सुरेश हरचंदानी सड़क निर्माण का ठेका भी लेने लगे। उल्हासनगर स्थित मतिमंद बच्चों के दसवीं तक विद्यालय के वो ट्रस्टी हैं। विद्यालय में पढ़नेवाले विद्यार्थियों को पढ़ाई के अलावा ऐसा कौन सा प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि बच्चे अभिभावकों पर बोझ न बनें इसके लिए फाइल बनाने, प्लेट बनाने, प्रिंटिंग जैसे तमाम तरह के कार्यों का प्रशिक्षण देने की उन्होंने व्यवस्था शुरू की। आज हजारों बच्चे प्रशिक्षण लेकर काम कर रहे हैं और कुछ बच्चे पैतृक कार्य में हाथ बटा रहे हैं तो कुछ प्यून का भी काम कर रहे हैं। मतिमंद बच्चे डांस भी करते हैं। समुरीबाई स्वास्थ्य परीक्षण सेंटर के सुरेश हरचंदानी संचालक हैं। साई बाबा एजुकेशन ट्रस्ट के खजांची और सहकार भारती संस्था के उपाध्यक्ष हैं। ‘द नवजीवन’ बैंक के संचालक मंडल में उपाध्यक्ष और जनजागृति फाउंडेशन संस्था के ट्रस्टी हैं। इसके पहले अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जनजागृति फाउंडेशन के माध्यम से उल्हासनगर के सरकारी कार्यालय बिजली, राशन, पुलिस, प्रांत कार्यालय, रेलवे, अस्पताल जैसी तमाम तरह की समस्याओं को सुधारने के लिए प्रशासनिक कार्यालय के दरवाजे न्याय के लिए उन्होंने खटखटाए। आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उन्होंने वैंâप लगवाए। मध्यवर्ती अस्पताल में शीतल जल के लिए उन्होंने कूलर की व्यवस्था की। उल्हासनगर में रास्ते, साफ-सफाई जैसे जनहित के मुद्दे उठाते हुए मनपा प्रशासन को जगाया। शांतिनगर शमशान भूमि में तरह-तरह की सुविधा बढ़ाने की पहल भी उन्होंने की। उल्हासनगर के लोगों को हार्ट की तकलीफ होने पर शहर में ही उसका परीक्षण और उपचार हो सके इसके लिए साई बाबा हार्ट अस्पताल बनाने का सपना बरसों पहले देखा गया। इसके लिए आर्डिनेंस कंपनी के फास्ट गेट के समीप साई बाबा मंदिर के पास उद्घाटन किया गया। चार महले की इमारत में दो महला वैध और दो महला अवैध है। उपर्युक्त जगह को वैध करने के लिए बरसों से कानूनी जंग शुरू है। वैध करने के लिए आवेदन किया गया है। इसके बावजूद जनहित कार्य के लिए मान्यता नहीं मिल रही है। तीन से चार करोड़ की जांच के साधन इमारत के अंदर बंद हैं। वह मानवसेवा के काम में आए। इसके लिए प्रयास शुरू है। नेता, प्रशासकीय अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा-लगा कर अब तो पैर में दर्द होने लगा है। उल्हासनगर मनपा के नगर रचना कार्यालय में फाइल धूल खा रही है। सुरेश हरचंदानी बताते हैं कि उन्हें एक बेटा है, जो एमबीए की पढ़ाई कर टीशर्ट प्रिंटिंग के व्यवसाय में है। पत्नी हाउस वाइफ जो उनके सेवा कार्य में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है।