मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : जगा रहे हैं समाज में शिक्षा का अलख

समाज के सिपाही : जगा रहे हैं समाज में शिक्षा का अलख

राजेश जायसवाल

कहते हैं कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता और समाज का सजग प्रहरी होता है, जो समाज को एक नई दिशा देने का काम करता है। उसके द्वारा शिक्षित व्यक्ति देश का नेतृत्व और समाज की उन्नति व प्रगति के लिए प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। ऐसे ही समाज के एक सिपाही संजय रामनरेश गुप्ता का उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के बैजाबारी गांव में जन्म हुआ। संजय गुप्ता बताते हैं कि दसवीं तक पढ़ाई गांव से करने के बाद सपनों के उड़नखटोले में बैठ अपना आकाश तय करने के लिए वो २००६ में मुंबई चले आए। यहां आने के बाद माटुंगा स्थित दयानंद बालक-बालिका विद्यालय से १२वीं तथा जीटीबी नगर के गुरुनानक कॉलेज से बी.कॉम और एम.कॉम तक उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद पिल्लई कॉलेज से बीएड और अर्नी विश्वविद्यालय से एम.ए. तथा जेएस विश्वविद्यालय से पीएचडी की। आज वडाला के एनकेईएस कॉलेज में पढ़ानेवाले संजय गुप्ता महाराष्ट्र राज्य चैरिटी कमिश्नर से पंजीकृत संस्था (एनजीओ) ‘एप्लस एजुकेशन सोसायटी’ के माध्यम से जीटीबी नगर में ‘एप्लस कोचिंग क्लासेस’ चला रहे हैं।
संजय गुप्ता कहते हैं कि अपने शैक्षणिक जीवन में मैंने बहुत उतार-चढ़ाव देखा। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। मेरा सपना था कि ग्रेजुएशन के बाद कोचिंग क्लासेस खोलकर बेहद कम फीस में मैं बच्चों को पढ़ाऊं। इसी उद्देश्य के मद्देनजर आज मैं कुछ जरूरतमंद बच्चों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन मुफ्त शिक्षा प्रवाह कार्यक्रम चला रहा हूं, जिससे काफी बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। सच कहूं तो यह बहुत ही शानदार महसूस होता है जब आप किसी की मदद करते हैं। संजय गुप्ता बताते हैं कि पिछले सप्ताह ही उन्होंने ‘एप्लस क्लासेस’ से टॉप करनेवाले कई बच्चों की साल भर की भरी हुई फीस वापस लौटा दी। इसके लिए उन्होंने बच्चों के अभिभावकों के साथ एक स्पेशल प्रोग्राम का आयोजन भी किया, जिसमें मशहूर यूट्यूबर दिनेश कुमार गुप्ता समेत कई शिक्षकों ने बच्चों की काउंसलिंग की। उनकी इस अनोखी पहल की खूब सराहना की जा रही है। संजय कहते हैं कि इसके पीछे उनका उद्देश्य सिर्फ यह है कि बच्चे पढाई में और ध्यान दें, पढ़ने में मेहनत करें और मां-बाप का नाम रोशन करें। संजय गुप्ता बताते हैं कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में जब सभी स्कूल-कॉलेज बंद हो गए और बच्चों के सामने पढ़ाई की विकट समस्या पैदा हो गई तब उन्होंने ‘सायन प्रâेंड सर्कल’ समूह के सदस्यों के साथ मुंबई की अलग-अलग बस्तियों में जाकर जरूरतमंद बच्चों को अध्ययन सामग्री और उनके परिजनों को खाद्य सामग्री वितरित की। संजय गुप्ता कहते हैं कि कोरोना ने शिक्षा व्यवस्था के समक्ष कई नई चुनौतियां उत्पन्न की। इस संकट से यह सीखने को मिला कि हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था को तकनीकि कुशल बनाने की जरूरत है। आज शिक्षण संस्थाओं की स्थापना तथा प्रबंधन एक लाभकारी उद्योग बन गए हैं, इससे शिक्षा का बाजारीकरण होता जा रहा है, जिसे देखकर मन को पीड़ा होती है।

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