मुख्यपृष्ठग्लैमरयहां किसी का भला नहीं हुआ!-सुखदा खांडकेकर

यहां किसी का भला नहीं हुआ!-सुखदा खांडकेकर

‘सोनी’ के शो ‘पुकार- दिल से दिल तक’ में सरस्वती का किरदार निभानेवाली सुखदा खांडकेकर ने हिंदी और मराठी नाटकों सहित फिल्मों में भी अभिनय किया है। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में बाजीराव की बहन और ‘पुण्यश्लोक अहिल्याबाई’ में द्वारकाबाई का नेगेटिव रोल निभाकर वो छा गईं। पेश है, सुखदा खांडकेकर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
-आपको शो ‘पुकार-दिल से दिल तक’ कैसे मिला?
जो नॉर्मल प्रोसेस है, ऑडिशन के लिए चैनल या प्रोडक्शन हाउस से आपको फोन आ जाता है। मेरे जैसे कई कलाकार बड़ी आस लेकर ऑडिशन देते हैं। कभी ऐसा भी होता है जब लीड एक्टर्स का चुनाव पहले ही हो चुका होता है, फिर भी बेहतर ऑप्शन ढूंढ़ना जारी रहता है। खैर, मैंने जाकर ऑडिशन दिया और कुछ ही दिनों में सिलेक्शन का फोन आते ही मैं गाने लगी, ‘आज मैं ऊपर आसमां नीचे…!’
-अपनी जर्नी से आप कितनी संतुष्ट हैं?
अभी तो मेरी शुरुआत हुई है और आगे बढ़ते जाना है। टीवी इंडस्ट्री में मैंने कई चुनौतियों का सामना किया है। मेरी मां मेरी प्रेरणा हैं। वे हमेशा कहती हैं अंधेरे के बाद उजाला जरूर आता है, उसे आने से कोई नहीं रोक सकता।
– स्ट्रगल के दौरान आपने क्या सीखा?
सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि हर दूसरे व्यक्ति को संघर्ष से गुजरना ही पड़ता है। कभी आपको ऑडिशन में फेल कर दिया जाता है। कभी लगता है आपके साथी कलाकार आपसे आगे निकल गए हैं। कई लोग आपको नेगेटिव बातें ही सुनाते रहते हैं कि यहां किसी का भला नहीं हुआ। निराशा के सिवा हाथ कुछ नहीं लगेगा। यह सुनकर और कुंठा होती है। मैंने बस यही सीखा कि सुनो सबकी पर करो अपने मन की।
-संजय लीला भंसाली के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
उनके साथ हर दिन बेहद यादगार और खुशियों भरा रहा। उनकी फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में मेरे किरदार का नाम अनुबाई था, जो बाजीराव की बहन है। बड़ी आत्मीयता से भंसाली मुझसे मराठी में बात करते। प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण से भी मित्रता हुई। एक कलाकार से वैâसे काम करवाना चाहिए यह कोई संजय लीला भंसाली से सीखे।

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