यू.एस. मिश्रा
चाहे आम हो या खास हर पिता की इच्छा होती है कि उसका बेटा बड़ा होकर उससे चार कदम आगे जाए और उससे कहीं अधिक ऊंचा मकाम हासिल करने के साथ ही वो खूब नाम और दाम कमाए। अपने जमाने के मशहूर कलाकार भी अपने बेटे के लिए भी कुछ ऐसा ही चाहते थे इसलिए अपने बैनर तले निर्माण होनेवाली अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म में जब उनका बेटा उनके बचपन का रोल निभा रहा था तो शूटिंग के दौरान जब भी वो शॉट देता सेट पर उपस्थित लोग उसका परफॉर्मेंस देख खूब तालियां बजाते। लेकिन शॉट देने के बाद जब बेटा अपने पिता की तरफ देखता तो एक्टर पिता उससे हर बार बस एक ही बात कहते कुछ कमी रह गई बेटा और…
बात उन दिनों की है जब प्रोड्यूसर-डायरेक्टर राज कपूर अपने बैनर ‘आर.के. बैनर’ तले फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ का निर्माण और निर्देशन कर रहे थे। फिल्म में ऋषि कपूर पहली बार वैâमरा फेस करते हुए अपने पिता राज कपूर के बचपन का रोल निभा रहे थे। खैर, शूटिंग के दौरान जब भी ऋषि कपूर वैâमरे के सामने शॉट देने के लिए आते और उनके परफेक्ट शॉट देते ही पूरा सेट तालियों से गूंज उठता। तालियों की गूंज थमते ही ऋषि कपूर की नजरें अपने पिता राज कपूर की ओर जाकर थम जातीं। लेकिन पिता राज कपूर उनकी तारीफ करने की बजाय उनसे कहते, ‘तुमने शॉट तो बहुत अच्छा दिया पर कुछ कमी रह गई।’ पिता की बात सुनकर मन ही मन सोचते शायद शॉट अच्छा नहीं हुआ इसलिए पिता ने इस तरह कहा और वे अगले शॉट को बेहतर बनाने की कोशिश में जुट जाते। लेकिन ये क्या? हर शॉट के बाद हर बार उन्हें वही डायलॉग फिर सुनने को मिलता, ‘कुछ कमी रह गई।’ पिता की बात सुनकर ऋषि कपूर टेंशन में आ गए और मन ही मन सोचने लगे कि वहां सेट पर उपस्थित सभी लोगों को मेरा काम बहुत पसंद आ रहा है लेकिन एक मेरे पापा हैं जिन्हें उनका काम क्यों पसंद नहीं आ रहा और वो बार-बार कुछ कमी रह गई है बेटा, क्यों कह रहे हैं? आखिर, पापा को मेरे शॉट में हर बार क्यों कमी नजर आती है। खैर, ऋषि कपूर द्वारा दिए गए हर शॉट के बाद ये सिलसिला लगातार जारी रहा और अंतत: फिल्म पूर्ण होकर रिलीज भी हो गई। फिल्म में ऋषि कपूर को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ‘नेशनल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। अवॉर्ड मिलने के बाद जब ऋषि कपूर अपने पिता राज कपूर के पास उनका आशीर्वाद लेने पहुंचे तो पिता राज कपूर से आशीर्वाद लेते हुए आखिरकार, उन्होंने उनसे कह ही दिया कि ‘अब तो कह दीजिए पापा कि मैंने बहुत अच्छा काम किया है।’ बेटे ऋषि कपूर की बात सुनकर अब पापा राज कपूर ने ऋषि कपूर को ‘नेशनल अवॉर्ड’ मिलने पर ढेर सारी बधाई देते हुए उन्हें खूब आशीर्वाद दिया। बधाई और आशीर्वाद देने के बाद अब पिता राज कपूर ने बेटे ऋषि कपूर के सामने वही बात दोहरा दी ‘काम तो अच्छा था, मगर थोड़ी कमी रह गई थी।’ पिता के मुंह से हर बार की तरह इस बार भी यही बात सुनकर अब ऋषि कपूर से रहा नहीं गया। उन्होंने हिम्मत जुटाते हुए बड़ी हिम्मत के साथ पिता राज कपूर से पूछा कि ‘पापा शूटिंग के दौरान सेट पर मेरे काम में किसी को भी कोई कमी नजर नहीं आई, लेकिन आप हर बार मुझसे यही बात कहते हो। आखिर क्या कमी रह गई है मेरे काम में?’ ऋषि कपूर की बात सुनकर अब ‘शोमैन’ राज कपूर ने बड़े प्यार से बेटे ऋषि कपूर को समझाते हुए कहा, ‘बेटा, जब मैं छोटा था और पापा पृथ्वीराज कपूर के साथ काम करता था तब मैं भी यही सवाल हर बार अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से पूछता था जो तुम आज मुझसे पूछ रहे हो। तब पापा पृथ्वीराज कपूर ने एक कहानी उन्हें सुनाई थी कि एक नट था जो हर रोज अपने बेटे को कंधे पर बिठाकर लोगों को कलाबाजियां दिखाया करता था। ऊंचाई पर बंधी रस्सी पर चलने के साथ ही रस्सी पर चलते हुए वो बैलेंस बनाते हुए बांस से तरह-तरह के करतब दिखाता था। नट के बूढ़े हो जाने के बाद जब उसका बेटा बड़ा हुआ तो उसने भी बाप के नक्शेकदम पर चलते हुए बाप का पुश्तैनी धंधा अपना लिया। अब बेटा लोगों के बीच करतब दिखाने लगा। उसका करतब देख लोग दांतों तले उंगलियां दबाते हुए खूब तालियां बजाते और उसकी झोली पैसों से भर देते। लेकिन जब भी वो अपने करतब दिखाता उसके पिता उससे यही कहते बहुत अच्छा किया लेकिन बेटे थोड़ी कमी रह गई। पिता के इस तरह कहने के बाद अब उस नट के बेटे ने कड़ी मेहनत की और उससे भी ज्यादा पैसा कमाया। लोगों की और तालियां पाईं। इसके बावजूद पिता हर बार की तरह उससे यही कहता कि बेटे कुछ कमी रह गई। अब बाप की बात सुनकर बेटा नाराज हो गया और उसने गुस्से में पिता से कहा कि आज से आप मुझे ये सब कहना बंद कर दीजिए। बेटे की नाराजगी को देख बाप ने उस दिन के बाद उससे कुछ नहीं कहा। लेकिन एक दिन रस्सी पर चढ़ने के दौरान बेटा धड़ाम से रस्सी से नीचे आ गिरा।’ ये कहानी सुनाते हुए अब राज कपूर ने बेटे ऋषि कपूर से कहा इस कहानी से मुझे जो सीख मिली, मैं चाहता हूं कि वही सीख तुम्हें भी मिले। तुम भी अपने काम पर गर्व करके उससे और बेहतर काम करने की कोशिश करो।’