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कभी-कभी : ऐसे मिली इंडस्ट्री में एंट्री

यू.एस. मिश्रा
फिल्मी चकाचौंध से वशीभूत होकर अनगिनत लड़के-लड़कियां हर रोज मुंबई का रुख करते हैं। कुछ को तो उनकी मंजिल मिल जाती है और कुछ ताउम्र कुछ कर गुजरने की चाहत में अपनी चप्पलें घिसते रह जाते हैं। अपने जमाने के मशहूर गीतकार ने भी कुछ बनने की चाहत लिए मुंबई का रुख किया और काम की तलाश में इधर से उधर भटकने लगे। ऐसे में एक शख्स ने उनसे कहा कि आजकल ट्राम और बस कंडक्टर की बहुत जरूरत है। क्यों नहीं तुम वहां अर्जी भेजते। उस शख्स के कहने पर उन्होंने अर्जी भेज दी और…
१५ अप्रैल, १९२२ को जयपुर में जन्म लेनेवाले इकबाल हुसैन उर्फ हसरत जयपुरी बचपन से ही शेर-ओ-शायरी के शौकीन थे। १८-१९ वर्ष की उम्र से ही शेर-ओ-शायरी करनेवाले हसरत जयपुरी कुछ कर गुजरने की चाहत मन में लिए एक दिन अपनी किस्मत आजमाने मुंबई पहुंच गए। मुंबई पहुंचने के बाद काम की तलाश में भटक रहे हसरत जयपुरी को एक शख्स ने सलाह देते हुए कहा कि ट्राम कंडक्टर और बस कंडक्टर की इन दिनों बहुत ज्यादा जरूरत है। क्यों नहीं अपनी किस्मत तुम वहां आजमाते। अब अंधा क्या चाहे दो आंख न। उस शख्स की सलाह मानकर उन्होंने एक एप्लिकेशन वहां भेज दी। अब इसे ऊपरवाले का करम ही कहना होगा कि उनका एप्लिकेशन मंजूर हो गया और बस कंडक्टर की नौकरी उन्हें मिल गई। हसरत जयपुरी भले ही बस कंडक्टर बन गए, लेकिन शेर-ओ-शायरी उनसे दूर नहीं हुई क्योंकि यह उनका शौक और उनकी जिंदगी थी। समय मिलने पर वो शायरी करते और उनके द्वारा लिखे गए शेर-ओ-शायरियां अखबार में छपतीं। कभी-कभार उन्हें कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी आमंत्रित किया जाता। धीरे-धीरे उनकी चर्चा हर ओर होने लगी। अब इसे हसरत जयपुरी की किस्मत ही कहना होगा कि ये चर्चा एक दिन ‘शोमैन’ राज कपूर के कानों तक जा पहुंची। राज कपूर ने हसरत जयपुरी को मिलने के लिए बुलाया। राज कपूर का निमंत्रण मिलने के बाद उन्होंने सोचा कि राज साहब जैसा डायरेक्टर उन्हें बुला रहा है तो उनसे मिलकर अपनी किस्मत को एक बार जरूर आजमाना चाहिए। राज कपूर के बुलाने पर वो ‘पृथ्वी थिएटर’ जा पहुंचे। इंटरवल में जब उनकी मुलाकात राज कपूर से हुई तो उन्होंने हसरत जयपुरी को वैंâटीन में बैठकर इंतजार करने को कहा। थोड़ी देर बाद राज कपूर उनके पास पहुंचे और पहुंचते ही उनसे बोले, ‘मियां, तुम्हारी रोमांटिक शायरियों के बारे में मैंने काफी कुछ सुना है और कई बार अखबारों में भी पढ़ा है। साथ ही ये भी सुना है कि आप बहुत अच्छी और रोमांटिक शायरी करते हो।’ राज कपूर की बात सुनकर हसरत जयपुरी बोले, ‘हां राज साहब, ये तो मेरा शौक है।’ इस पर राज कपूर ने कहा, ‘मैं एक पिक्चर ‘बरसात’ बना रहा हूं, जिसका सब्जेक्ट बहुत ही रोमांटिक है। मैं चाहता हूं कि इस फिल्म के लिए अपनी कुछ कविताएं और गजलें मुझे सुनाओ।’ राज कपूर के आग्रह पर हसरत जयपुरी ने अपने पड़ोस में रहनेवाली राधा नामक लड़की, जिसके प्यार में वो गिरफ्तार थे और उसके लिए उन्होंने एक प्रेम पत्र ‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर, के तुम नाराज न होना…’ लिखा था, उसे राज कपूर को सुना दिया। इस कविता को सुनते ही राज कपूर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तत्काल उनसे कह दिया, ‘बहुत ही खूबसूरत कविता है यह। इसे तुम मेरे लिए रख लो क्योंकि मैं ‘संगम’ नाम से एक फिल्म बनानेवाला हूं और इस गीत को मैं उसमें इस्तेमाल करूंगा।’ अब उन्होंने अपने नए म्यूजिक डायरेक्टर शंकर-जयकिशन से उनका परिचय करवाते हुए कहा, ‘आपको इनके साथ काम करना है। मैं चाहता हूं कि अपनी टीम बनाकर मैं काम करूं।’ इस पर हसरत जयपुरी ने कहा, ‘ठीक है राज साहब।’ इसके बाद शंकर-जयकिशन ने हसरत जयपुरी को फिल्म ‘बरसात’ के लिए बनाई गई धुनें सुनार्इं। फिल्म की सिचुएशन बताते हुए राज कपूर ने हसरत जयपुरी से कहा, ‘आपके सामने एक शर्त है मियां तुम्हें इन धुनों पर गीत लिखना होगा।’ राज कपूर की बात सुनकर हसरत जयपुरी ने कहा, ‘ठीक है राज साहब।’ राज कपूर ने फिल्म की सिचुएशन के बारे में विस्तार से बताते हुए हसरत जयपुरी से कहा, ‘एक सिचुएशन इंतजार की है और दूसरी सिचुएशन बिछड़ने की है।’ इसके बाद हसरत जयपुरी कभी-कभार ‘पृथ्वी थिएटर’ में इंटरवल के दौरान उनसे मिलते और उन्हें अपने द्वारा लिखे गए गीत और शेर-ओ-शायरियां सुनाते। एक दिन राज कपूर ने उनसे कहा, ‘आप हमारी कंपनी में नौकरी कर लीजिए।’ इस पर हसरत जयपुरी ने कहा, ‘ठीक है राज साहब, आप जो कुछ भी देंगे वो मुझे मंजूर है।’ अब राज कपूर ने उनसे कहा, ‘आज से तीन सौ रुपए माहवार तनख्वाह मैं आपको दूंगा।’ इस तरह फिल्मी दुनिया में हसरत जयपुरी का पदार्पण हुआ।

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