यू.एस. मिश्रा
हर पिता की तरह सचिन देव बर्मन भी चाहते थे कि उनका बेटा राहुल देव बर्मन उनसे चार कदम आगे बढ़कर नाम व दाम कमाए और उनकी पहचान बेटे के नाम से हो। राहुल देव बर्मन को अक्सर छोटी-छोटी बातों के लिए डांटने और डंपटनेवाले पिता एस. डी. बर्मन अलसुबह समुद्र किनारे टहल रहे थे, तभी वहां सैर कर रहे किसी व्यक्ति ने उनकी ओर देखते हुए कहा कि वो देखो फलां संगीतकार का पिता जा रहा है। अपने बेटे राहुल देव बर्मन के नाम से खुद को पहचाने जाने पर पिता एस. डी. बर्मन खुशी से फूले नहीं समाए। उनकी खुशी का पारावार और घर पहुंचते ही उन्होंने बेटे राहुल को सारा किस्सा एक सांस में कह सुनाया।
२७ जून, १९३९ को मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन और मीरा देव बर्मन के घर इकलौती संतान के रूप में राहुल देव बर्मन यानी आर. डी. बर्मन का जन्म हुआ। एक कामयाब पिता का बेटा भी कामयाब हो ऐसा जरूरी नहीं होता, लेकिन पिता एस. डी. बर्मन जैसे वटवृक्ष की छत्रछाया में बढ़ने वाले आर. डी. बर्मन ने न केवल अपने पिता की तरह संगीत के क्षेत्र में नाम कमाया, बल्कि बतौर एक्टर-सिंगर भी अपना परचम लहराया। वर्ष १९६१ में महमूद की फिल्म ‘छोटे नवाब’ के जरिए बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखनेवाले आर. डी. बर्मन और महमूद की दोस्ती गजब की थी। फिल्म ‘भूत बंगला’ की शूटिंग के दौरान महमूद ने एक दिन आर.डी. बर्मन को सेट पर शूटिंग देखने के लिए आमंत्रित किया। आर.डी. बर्मन के सेट पर पहुंचते ही महमूद ने बातों ही बातों में उन्हें एक ड्रेस देते हुए कहा, ‘ये तोहफा तुम्हारे लिए है। तुम इसे पहनकर दिखाओ।’ अब दोस्त महमूद की बात को भला आर. डी. बर्मन वैâसे टाल सकते थे? महमूद की दी हुई उस ड्रेस को पहनने के बाद महमूद के मेकअप रूम में बैठकर आर. डी. बर्मन उनसे गपशप करने लगे, तभी अचानक पीछे से महमूद के भाई उस्मान ने उनके ऊपर बाल्टी भरकर पानी उड़ेल दिया। इस अनपेक्षित वाकये से आर. डी. बर्मन गुस्से से तिलमिला उठे। इस वाकये के बाद महमूद ने उनसे कहा, ‘अब तो कुछ हो ही नहीं सकता। सेट पर बारिश का सीन चल रहा है इसलिए अब जब तुम भीग ही गए हो तो बारिश में भीगते हुए तुमको एक शॉट देना पड़ेगा।’ दोस्त महमूद की बात को सिर आंखों पर रख आर. डी. बर्मन फिल्म ‘भूत बंगला’ के सेट पर पहुंच गए और उन्होंने जैसे ही शॉट ओके किया, पूरा सेट तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। आर.डी. बर्मन को कुछ समझ नहीं आया, तभी महमूद ने उनसे कहा, ‘अब तो तुम फंस गए, क्योंकि तुम कंटीन्यूटी में आ गए और इतना पैसा लग गया इसलिए यह रोल तुम्हें करना ही पड़ेगा।’ खैर, इस तरह फिल्मों में कदम रखनेवाले आर. डी. बर्मन के पिता एस. डी. बर्मन हर रोज सुबह जुहू में समुद्र किनारे टहलने यानी मॉर्निंग वॉक करने के लिए जाया करते थे। मॉर्निंग वॉक करने के बाद जब वो वापस अपने बंगले यानी घर लौटते तो लॉन में बैठकर चाय पीते और बेटे आर. डी. बर्मन को डांटते हुए कहते, ‘क्या यार पंचम, मोटा हो रहा है। तुम कोई फिजीकल एक्सरसाइज तक नहीं करते…!’ पिता की बात सुनकर पंचम कोई जवाब नहीं देते। सोचते पिता जो कुछ भी कह रहे हैं, ठीक ही कह रहे हैं। खैर, एक दिन जब एस. डी. बर्मन मॉर्निंग वॉक करके वापस घर लौटे तो उन्होंने अपने बेटे आर. डी. बर्मन से कहा, ‘पंचम, आई एम वेरी प्राउड ऑफ यू।’ पिता की बात सुनकर पंचम सोच में पड़ गए कि उनके पिता ने आज तक सिवाय उन्हें डांटने के कभी उनकी तारीफ नहीं की, आज क्या कमाल हो गया, जो आज वो मेरी तारीफों के पुल बांध रहे हैं। अब पंचम ने उनसे पूछा, ‘क्या… क्या… क्या… कहा आपने…?’ एस.डी. बर्मन ने फिर वही बात दोहरा दी, ‘आई एम प्राउड ऑफ यू। तुम बहुत अच्छा कर रहे हो।’ पंचम ने पिता आर. डी. बर्मन से पूछा, ‘क्या कर रहा हूं?’ अब एस. डी. बर्मन पंचम से बोले, ‘देखो भैया, आज एक कमाल किस्सा हुआ है। हर रोज मैं सुबह जुहू सैर करने जाता हूं। वहां कुछ और लोग भी सैर करने के लिए आते हैं, जिनमें बच्चे और बूढ़े भी शुमार होते हैं। कई बार मुझे देखकर लोग कहते हैं कि ये देखो एस. डी. बर्मन जा रहा है। उनकी बात सुनकर मैं मन ही मन सोचता हूं कि ये लोग मेरे पैâन हैं, लेकिन आज तो कमाल हो गया।’ पिता एस. डी. बर्मन की बात सुनकर पंचम ने चौंकते हुए पूछा, ‘क्या कमाल हो गया?’ अब एस. डी. बर्मन बोले, ‘आज तो कमाल हो गया। वहां टहल रहे लोगों ने मुझे देखकर कहा, ‘ये देखो आर. डी. बर्मन का बाप जा रहा है।’