विक्रम सिंह/सुल्तानपुर
लोकसभा चुनाव में पर्चा दाखिले के वक़्त हलफनामे में अपने १२ आपराधिक मुकदमे छुपा जाने वाले सपा के सुल्तानपुर सांसद रामभुआल निषाद की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। इस संदर्भ में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर चुनाव याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की अपील पर न्यायाधीश सूर्यकांत ने चुनाव आयोग व सपा सांसद निषाद को नोटिस जारी कर तलब कर लिया है। कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर जवाब प्रतिवादियों से जवाब मांगा है।
बता दें कि गत लोकसभा चुनाव के दौरान रनर रहीं भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा ८१ को चुनौती दे दी थी। इस धारा के अनुसार चुनाव याचिका दाखिल करने के लिए ४५ दिन की समय सीमा निर्धारित है। समय सीमा के भीतर याचिका दाखिल न होने के आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने वादी मेनका की चुनाव याचिका खारिज कर दी थी। ऐसे में मेनका ने सुप्रीम कोर्ट में ऐसे कानून के प्रावधान को ही चुनौती दे डाली।
जिसपर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट का काम कानून बनाना नहीं है। इस तरह से अगर कानून को चुनौती पर सुनवाई की गई तो मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी। हालांकि उन्होंने सॉफ्ट रुख दिखाते हुए यूपी के सुल्तानपुर से इस बार लोकसभा चुनाव हारने वाली बीजेपी नेता श्रीमती गांधी की अपील पर नोटिस जारी कर चुनाव आयोग व निर्वाचित एमपी रामभुआल निषाद को तलब कर लिया है। इस अपील में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।यह कहा गया है कि उनकी याचिका में रखे गए तथ्यों पर हाई कोर्ट न विचार नहीं किया।
मेनका ने आरोप लगाया है कि समाजवादी पार्टी प्रत्याशी रहे राम भुआल निषाद ने नामांकन के समय दाखिल हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज १२ आपराधिक मुकदमों में से ४ की जानकारी नहीं दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेनका की याचिका यह कहते हुए खारिज की थी कि उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून में दी गई समय सीमा के अंदर याचिका दाखिल नहीं की और इस आधार पर उनकी याचिका अस्वीकार कर दी गई।