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विशेष संपादकीय : महाराष्ट्र का ‘परिणाम’!

विधानसभा के नतीजे आ गए हैं। नतीजे आ गए हैं, लेकिन ये जनमत यानी जनादेश नहीं है। भाजपा प्रणित महायुति को २३१ सीटें मिल सकती हैं, इस पर कौन विश्वास करेगा? बेईमान शिंदे गुट ५७ और नाजुक अजीत पवार गुट ने ४१ सीटें जीत लीं। यह नतीजा विचलित करने वाला है। राज्य की सरकार के खिलाफ प्रचंड असंतोष उबल रहा था। महाराष्ट्र की जनता भाजपा और उसके द्वारा पोषित गद्दारों के खिलाफ धधक रही थी। जब महाराष्ट्र की जनता सभी बेईमानों को गाड़ने का संकल्प लेकर मतदान करती है, लेकिन एक झटके में सभी बेईमान जीत जाते हैं और बेईमानों की जय-जयकार करते हुए विजय जुलूस निकलते हैं तो यह महाराष्ट्र की स्वाभिमानी छवि पर आघात है। यह नतीजा स्वीकार्य करने लायक नहीं है। कर्ज तले डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं। प्याज, टमाटर, दूध सड़क पर फेंकना पड़ रहा है। महाराष्ट्र के उद्योगों को गुजरात ले जाए जाने से राज्य के युवा बेरोजगार हो गए हैं। बेरोजगारी की वजह से किसानों के बच्चों की शादी नहीं हो पाती। फिर भी, क्या कोई विश्वास कर सकता है कि इस सरकार के प्रति प्रेम की ऐसी लहर उठी और उसमें एक बदनाम, असंवैधानिक सरकार दोबारा जीत गई? लोकसभा में महाराष्ट्र ने अपना स्वाभिमानी आन-बान दिखाकर मोदी-शाह की महाराष्ट्र विरोधी राजनीति को परास्त कर दिया। जिस महाराष्ट्र में चार महीने पहले महाराष्ट्र ने लोकसभा में मोदी के बहुमत को रोकने का पुरुषार्थ दिखाया था, उसी महाराष्ट्र में अगले चार महीने में विधानसभा का यह नतीजा आया और महाराष्ट्र में ‘महा’नता के कुंडल गलकर गिर गए। महाराष्ट्र का जैसे तेज ही खत्म हो गया है। महाराष्ट्र की धरती पर जातिवाद का एक अबूझ मामला पैâल गया। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे जहरीले प्रचार अभियान बेशर्मी से चलाए गए और चुनाव आयोग ने कोई आपत्ति नहीं जताई। पैसों की अथाह वर्षा हुई। अब अगर पैसे के दम पर चुनाव लड़ना और जीतना है तो लोकतंत्र को ताला ही जड़ देना होगा और केवल अडानी की पार्टी ही चुनाव लड़ सकेगी। आम आदमी के बहुमूल्य मत को पैसे के वजन पर तौला गया और अब उसी के अनुरूप जीत की गूंज सुनाई देने लगी। शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने महाराष्ट्र में अथक परिश्रम किया। किसानों, मजदूरों, युवाओं, महिलाओं ने उन्हें जबरदस्त प्रतिसाद दिया। फिर भी अगर कोई कहता है कि लाडली बहनों के १,५०० रुपए के कारण ही महाविकास आघाड़ी की हार हुई, तो यह सही नहीं है। ‘महायुति’ नामक राक्षस आज महाराष्ट्र की एकता को कमजोर करके विजय का विकट हास्य कर रहा है। इस जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की भयानक साजिश है। दो दिन पहले अमेरिका में अडानी की गिरफ्तारी का वारंट जारी होता है और पूरी भाजपा अडानी के भ्रष्टाचार के पुश्त पनाही में खड़ी हो जाती है। जिस अडानी की जेब में मुंबई समेत महाराष्ट्र की सार्वजनिक संपत्ति को डालने की साजिश मोदी-शाह-फडणवीस-शिंदे रचते हैं, उसी अडानी को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए महाराष्ट्र का संपूर्ण ‘परिणाम’ किया गया। आज महाराष्ट्र खत्म हो गया इसलिए राष्ट्र भी खत्म हो गया। अडानी राष्ट्र के उदय की खुशी और उल्लास शुरू हो गया। यह खुशी जिनकी है, उन्हें ही मुबारक। महाराष्ट्र की छाती पर अडानी राष्ट्र खड़ा होता दिख रहा है। यह जीत सच नहीं है!

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