आया वसंत लिए आल्हाद
खुशियों का लाया सौगात,
फूलों की रंगत भर आईं
कोयल ने भी ली अंगड़ाई,
चहुं दिशा खुशियों के साथ
आया यह सुंदर मधुमास।
सरसों खेतों में लहराए
मन में नई उमंगें आईं,
शीतल मंद बयार चली
हरियाली में धरती ढली,
कलियां मुस्काईं अलबेली
तितलियों ने पंखे खोलीं।
हर डाली पर खुशबू छाई
प्रकृति ने सुंदर छवि लाई,
गुलमोहर की छांव बनी
अमवा की बगिया भी घनी,
मधुर सुरों में गूंजे बंसी
नाचे मोर-पपीहा पंछी।
नई बहारें नई तरंगें
मन में उठती मधुर उमंगें,
प्रेम प्रीत का सुंदर राग
ऊर्जा उमंग और उल्लास,
सज-धज कर खुशियों के साथ
आया वसंत लिए आल्हाद।
धरती को स्वर्ग…
धरती को स्वर्ग बनाना तुम
मेहनत की राहों पर चलकर
सपने सच कर जाना तुम,
मन का विश्वाश बढ़ा करके
संघर्षों से लड़ जाना तुम,
गिरकर भी फिर उठ जाना
मंजिल पर कदम बढ़ाना तुम।
ज्ञान का दीप जला करके
अंधियारा दूर भागना तुम ।
राह कठिन हों चाहे कितनी
अपने कदम बढ़ाना तुम,
हार-जीत को सहज बनाकर
आगे बढ़ते जाना तुम,
सपनों की चोटी को छूना
जीवन सफल बनाना तुम।
ज्ञान का दीप जला करके
अंधियारा दूर भगाना तुम।
यह ज्ञान की ज्योति जला करके
दुनिया में नाम कमाना तुम,
विश्वास को साथ में ले करके
हर मुश्किल से टकराकर तुम,
सच्चाई की राह पकड़ करके
सपनों के लौ जलाना तुम ।
यह ज्ञान का दीप जला कर के
अंधियार दूर भागना तुम।
समय की कीमत ध्यान में रख
हर पल को सही बिताना तुम,
गुरुवर के दीक्षित राह पे चल
गुरुओं का मान बढ़ाना तुम,
कर्णधार हो इस धरती के
धरती को स्वर्ग बनाना तुम।
ज्ञान का दीप जला करके
अंधियारा दूर भगाना तुम ।
-रत्नेश कुमार पांडेय
मुंबई