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कॉर्पोरेट्स के लिए स्टॉल की कटिंग! … ठेकेदारों ने जताई रेलवे की मंशा पर आशंका

– ज्यादा भीड़ वाले स्टॉल बरकरार, कम ग्राहकी वाले तड़ीपार
सामना संवाददाता / मुंबई
बड़े कॉर्पोरेट्स के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए छोटे कारोबारियों की कटिंग की जा रही है। इसका ताजा उदाहरण प्रभादेवी स्टेशन पर देखने को मिला है। यहां प्लेटफॉर्म के कम भीड़ वाले दो फूड स्टॉल्स को बंद कर दिया गया है। मजे की बात है कि इन्हें यह कहकर बंद किया गया है कि भीड़ के वक्त इन फूड स्टॉल्स से भगदड़ होने का अंदेशा है। यह बात इसलिए भी हैरान करनेवाली है कि ये स्टॉल्स काफी पुराने हैं और काफी स्मूथ तरीके से चल रहे थे।
बता दें कि कम भीड़ वाले स्टॉल्स के बंद हो जाने से ठेकेदारों ने रेलवे की मंशा पर शंका जताई है। उनका कहना है कि इस बात की आशंका है कि छोटे ठेकेदारों के स्टॉल्स को बंद करके उसकी जगह बड़े फूड चेन को लाया जाएगा। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ठेकेदार ने कहा कि सरकार कुछ खास उद्योगपतियों को हर सेक्टर में बढ़ावा दे रही है। इससे छोटे व्यापारी बर्बाद हो रहे हैं। बता दें कि पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी कि मुंबई में पिछले कुछ महीनों में हजारों किराना स्टोर बंद हो चुके हैं। इसकी वजह बड़े सुपरमार्केट के चेन हैं, जो ऑनलाइन सामान भी बेच रहे हैं।

प्रभादेवी स्टेशन के लिए रेलवे का अजीब फैसला
कम भीड़ वाले स्टॉल बंद
भीड़भाड़ वाले जस के तस
रेलवे की नई व्यवस्था से यात्री नाराज

यात्रियों की सुविधा के नाम पर रेलवे ने प्रभादेवी रेलवे स्टेशन पर चार कैटरिंग यूनिट्स को बंद करने का निर्णय लिया है, लेकिन इस फैसले ने यात्रियों को सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है। २४ अक्टूबर २०२४ से लागू इस निर्णय के तहत प्लेटफॉर्म पर केवल दो स्टॉल, पहला नॉर्थ एंड पर और दूसरा साउथ एंड पर चालू रहेंगे। हालांकि, जिन स्टॉल्स पर असली भीड़ रहती है, वे जस के तस हैं।
भीड़ कम करने का दावा
प्रभादेवी स्टेशन पर पहले कुल छह कैटरिंग यूनिट्स, एक वेंडिंग मशीन और ‘वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट’ स्टॉल थे। रेलवे अधिकारियों ने दावा किया कि प्लेटफॉर्म पर भीड़भाड़ कम करने और यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए यह कदम उठाया गया। लेकिन यात्रियों का कहना है कि असली समस्या उन स्टॉल्स की है, जहां हमेशा लंबी कतारें रहती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि उन प्रमुख स्टॉल्स को बंद करने के बजाय कम भीड़ वाले यूनिट्स को हटाया गया है।
रेलवे ने २४-२५ अक्टूबर की मध्यरात्रि से चार यूनिट्स बंद कर दीं और अगले आदेश तक यह बंदी प्रभावी रहेगी। रेलवे के अनुसार, यह कदम प्लेटफॉर्म की सफाई, व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अधिकारियों ने यूनिट संचालकों को सूचित कर दिया है, लेकिन यात्रियों को इसके कारण हो रही असुविधा से राहत नहीं मिली है। रेलवे के इस अजीब निर्णय ने यात्री सुविधाओं में सुधार के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यात्रियों ने रेलवे से अपील की है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और वास्तविक समस्याओं का समाधान निकाले।
क्या कह रहे यात्री?
रेलवे के इस फैसले से यात्रियों में नाराजगी बढ़ रही है। उनका कहना है कि यदि रेलवे को भीड़ कम करनी थी, तो सबसे पहले उन स्टॉल्स को बंद करना चाहिए था, जहां हर समय भारी भीड़ रहती है। एक यात्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, जिन स्टॉल्स पर भारी भीड़ लगती है, वे बंद नहीं किए गए। इसके बजाय उन यूनिट्स को हटाया गया, जहां कभी-कभार ही यात्री खरीदारी करते थे।

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