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सात साल की उम्र में थामी हॉकी …हरियाणा के संजय ने दिलाई सफलता

– देश को दिलाया ब्रांज मेडल, गांव में जश्न
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पेरिस ओलंपिक में रविवार को भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक के लिए हुए मैच में स्पेन को हराकर पदक अपने नाम कर लिया है। भारतीय टीम में शामिल हरियाणा के हिसार के गांव डाबड़ा के संजय कालीरावणा का भी भारत के यहां तक पहुंचने में अहम योगदान रहा है। भारत की जीत पर संजय के गांव व परिवार के सदस्यों ने जश्न मनाया है। गांव में लोग खुशी से झूम उठे।
हरियाणा के हिसार के डाबड़ा गांव के संजय कालीरावणा ने सात साल की उम्र में हॉकी थामी। आर्थिक तंगी के कारण वह हॉकी नहीं खरीद सके। एक माह तक अपने सीनियर्स की हॉकी लेकर प्रैक्टिस की। इसके बाद कोच राजेंद्र सिहाग ने हॉकी दिलाई तो संजय ने हॉकी में आज नाम चमका दिया।

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलिंपिक में जीता ब्रॉन्ज
भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलिंपिक २०२४ में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल मैच में स्पेन को २-१ से हराया। हॉकी में भारत का यह चौथा ब्रॉन्ज मेडल है. इसके अलावा देश ने ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा ८ गोल्ड और १ सिल्वर मेडल भी जीता है. पिछले यानी टोक्यो ओलंपिक में भी भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. इसके साथ ही भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में ५२ साल बाद एक इतिहास रच दिया है.
दरअसल, भारतीय हॉकी टीम ५२ साल बाद ओलंपिक में लगातार २ मेडल जीते हैं. इससे पहले १९६० से १९७२ तक भारत ने हॉकी में लगातार ४ मेडल जीते थे. फिर १९७६ ओलंपिक में देश को कोई मेडल नहीं मिला. इसके बाद १९८० में गोल्ड जीता था.

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