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पांच साल से लंबित साइबर अपराधों पर फोरेंसिक जांच के आंकड़े सरकार करे कोर्ट में पेश! … हाई कोर्ट ने लगाई महायुति को फटकार

सामना संवाददाता / मुंबई
एक ओर जहां साइबर अपराधों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है, वहीं ऐसे अपराधों की जांच में भी देरी हो रही है। हाई कोर्ट ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को पिछले पांच वर्षों में मुंबई और ठाणे की फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में लंबित फोरेंसिक परीक्षणों की संख्या का विस्तृत आंकड़ा पेश करने का आदेश दिया है। साइबर अपराधों में फोरेंसिक जांच समय पर नहीं होती। परिणामस्वरूप, कई साइबर अपराधों की जांच बाधित हो गई है। एजुकेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी ‘एज्यूज’ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से इस संबंध में सरकार को आदेश देने का अनुरोध किया है। याचिका पर न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि हाल के वर्षों में साइबर अपराधों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसी के साथ ही खडंपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि ऐसे अपराधों की जांच में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं मुंबई और ठाणे में फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में पिछले पांच वर्षों में लंबित फोरेंसिक परीक्षणों की संख्या के विस्तृत आंकड़े मांगे। खंडपीठ ने सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई २९ जनवरी २०२५ तक के लिए स्थगित कर दी।
पेश किया गया फोरेंसिक लैब निदेशक का पत्र
अतिरिक्त सरकारी वकील वी.बी. कोंडे-देशमुख ने सुनवाई के दौरान ‘फॉरेंसिक लैब’ के निदेशक का एक पत्र प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि लंबित फोरेंसिक जांच को समय पर पूरा करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें से ‘सेमी-ऑटोमैटिक प्रोजेक्ट’ और ‘डिजिटल फोरेंसिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित करना शामिल है। सरकारी वकील ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि जिन मामलों में न्यायिक आदेश होगा, ऐसे मामलों में फोरेंसिक जांच रिपोर्ट तुरंत उपलब्ध कराने पर प्राथमिकता दी जाएगी।

कोर्ट की फटकार के बाद शुरू की कार्रवाई
अगस्त में कोर्ट ने साइबर क्राइम की धीमी जांच पर फटकार लगाई। उसके बाद सरकार जागी और उसने साइबर अपराधों की जांच में तेजी लाने के उद्देश्य से फोरेंसिक जांच पर अपना ध्यान केंद्रित किया। गृह विभाग द्वारा ‘सेमी-ऑटोमैटिक प्रोजेक्ट’ को मंजूरी मिलने के बाद १ अक्टूबर २०२४ को ‘वर्क ऑर्डर’ जारी किया गया। इसके साथ ही ४ अक्टूबर २०२४ को ‘डिजिटल फोरेंसिक सेंटर’ को प्रशासनिक मंजूरी दी गई। ‘डिजिटल फोरेंसिक सेंटर’ के लिए आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पहले से ही उपलब्ध है। इसलिए ‘डिजिटल फोरेंसिक सेंटर’ का काम चार सप्ताह में पूरा होने की संभावना है। फॉरेंसिक लैब में मैनपावर बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं। फोरेंसिक लैब में १२५ रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।

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