—भरतकुमार सोलंकी, वित्त विशेषज्ञ
मुंबई। हाल ही में शेयर बाजार में आई तेज़ गिरावट ने निवेशकों के 2,30,000 करोड़ रुपए डुबो दिए हैं। इस तरह की खबरों पर व्यापक चिंता जताई जा रही है और कई लोग भविष्यवाणी कर रहे हैं कि बाजार में अभी 10% और गिरावट की संभावना है। ऐसे वक्त में, निवेशकों का भ्रमित होना स्वाभाविक है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस उतार-चढ़ाव में आपका स्थान कहाँ है?
कभी आपने ये सोचा है कि आपकी व्यक्तिगत संपत्ति इस गिरावट से कितना प्रभावित होती है? क्या आप सच में इस गिरावट से घबराने की जरूरत रखते हैं? आपका पोर्टफोलियो क्या देश की कुल संपत्ति का 10-20 प्रतिशत है? या महाराष्ट्र की कुल एसेट का? हो सकता है कि मुंबई के उपनगर के किसी इलाके में भी आपकी हिस्सेदारी 10-20 प्रतिशत तक न हो। सच तो यह है कि अधिकांश निवेशकों का शेयर बाजार में निवेश इतना कम है कि इस तरह की गिरावट उनके वित्तीय स्वास्थ्य पर बड़ी चोट नहीं करती। फिर भी, अगर आप इस गिरावट से बेचैन हैं, तो आपको यह तय करना होगा कि आपकी स्थिति क्या है—आप बेचने वालों में से हैं या खरीदने वालों में से?
वास्तव में, बाजार में गिरावट की इस स्थिति को समझने के लिए यह जानना आवश्यक हैं कि आपकी निवेश की रणनीति क्या है। अगर आप अभी खरीदने के पक्ष में हैं, तो यह गिरावट आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। क्योंकि जब बाजार गिरता है, तो वह उन लोगों के लिए सस्ती खरीदारी का मौका लाता है, जो दीर्घकालिक निवेश की दृष्टि रखते हैं। यहां आपकी पसंद महत्वपूर्ण है: क्या आप बाजार के निचले स्तर पर निवेश कर अपनी संपत्ति बढ़ाना चाहते हैं?
दूसरी ओर, यदि आपका साम्राज्य पहले ही खड़ा हो चुका है—आपके पास सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति है—तो आपके लिए बाजार की ऊंचाई पर बेचने की स्थिति भी लाभदायक हो सकती है। लेकिन, इतिहास गवाह हैं कि जब राजाओं ने अपने साम्राज्य के हिस्से बेचने शुरू किए, तो उनके साम्राज्य कमजोर होने लगे। इसलिए, एक सावधानीपूर्ण कदम जरूरी है।
शेयर बाजार में ऐसे उतार-चढ़ाव निवेशकों के धैर्य और समझदारी की परीक्षा लेते हैं। यदि आप अपने निवेश को सही दिशा में ले जाना चाहते हैं, तो इस गिरावट को एक अवसर के रूप में देखें, न कि चिंता के रूप में। निवेश का मकसद संपत्ति बनाना है, न कि उसके उतार-चढ़ाव से घबराना।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)