सामना संवाददाता / मुंबई
अनुसूचित जाति-जनजाति की उप-योजनाओं के लिए आरक्षित निधि का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, महिला कल्याण और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में ही होना चाहिए। लेकिन यह निधि उन तक पहुंचाने की बजाय अन्य योजनाओं में मोड़ दी जा रही है। इस प्रथा को तुरंत रोका जाना चाहिए। इस तरह की मांग कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड ने संसद में की हैं। संसद में शून्यकाल के दौरान सांसद ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति की उप-योजनाओं के लिए आरक्षित निधि का उपयोग `लाड़ली बहन’ जैसी अन्य योजनाओं में किया जा रहा है, जो न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि संवैधानिक प्रावधानों का भी उल्लंघन है। इस निधि को अन्यत्र मोड़ने की प्रथा तुरंत बंद की जानी चाहिए। इन उप-योजनाओं को कानूनी दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि यह निधि केवल दलित और आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए ही सुरक्षित रखी जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा सिर्फ बजट का नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और वंचित समाज के अधिकारों से जुड़ा है।