सामना संवाददाता / मुंबई
एक कहावत है कि समय बड़ा बलवान होता है। समय का चक्र ही कहेंगे कि महाराष्ट्र में २०२४ के लोकसभा चुनाव में एक समय के प्रतिद्वंद्वी रहे सहयोगी बन गए है और सहयोगी रहे दुश्मन बन गए है। इसका उदाहरण नांदेड़ में केंद्रीय मंत्री अमित शाह की रैली में देखने को मिला, जहां पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और बीजेपी उम्मीदवार प्रताप पाटील चिखलीकर ने मंच साझा किया। लातूर जिले के लोहा से शिवसेना के तत्कालीन विधायक चिखलीकर २०१९ में बीजेपी में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव २०१९ में कांग्रेस के गढ़ नांदेड़ से अशोक चव्हाण को हरा दिया था। वे अब मराठवाड़ा क्षेत्र में चिखलीकर और अन्य बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं। २०१९ में मावल लोकसभा क्षेत्र में शिवसेना के श्रीरंग बरने ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार को हराया था। यह पहली बार था जब शरद पवार के विस्तृत परिवार के किसी सदस्य को चुनावी हार का स्वाद चखना पड़ा था। २०२४ में अजीत पवार की महायुति के लिए प्रचार कर रहे है। अजीत पवार ने फिल्म अभिनेता अमोल कोल्हे को शिवसेना सांसद शिवाजीराव पाटील के खिलाफ चुनाव लड़ाया था। आज उसी अमोल कोल्हे के खिलाफ अजीत पवार चुनाव प्रचार कर रहे है। इसी प्रकार बारामती में पवार परिवार के दो सदस्य आमने-सामने हैं। अजीत पवार पहले अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के चुनाव अभियानों का प्रबंधन करते थे। अब अजीत पवार ने अपनी चचेरी बहन व तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को मैदान में उतारा है। इस लड़ाई ने अजीत के परिवार में भी दरार पैदा कर दी है क्योंकि उनके छोटे भाई श्रीनिवास और उनका परिवार सुले के समर्थन में आ गए हैं।
बीड में, बीजेपी ने मौजूदा सांसद प्रीतम मुंडे के स्थान पर उनकी बड़ी बहन और पूर्व राज्य मंत्री पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया है। २०१९ के विधानसभा चुनाव में पंकजा को उनके चचेरे भाई और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने हरा दिया था।