-रोजगार मेला कर रहा बेरोजगारों को गुमराह!
-राकांपा का दावा-ट्रेनी स्वरूप हैं ४५ हजार में से ३६ हजार नौकरियां
सामना संवाददाता / मुंबई
शिंदे सरकार की तरफ से चल रही अजब-गजब लीला से आम से खास सभी त्रस्त हो चुके हैं। इसी में अब इस सरकार ने बेरोजगारों को लुभाने के लिए नई पहल करते हुए रोजगार मेला शुरू किया है। इस पहल को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस ने दावा किया है कि इससे केवल बेरोजगारों को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। शिंदे सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि इसके माध्यम से ४६ हजार नौकरियां दी जाएंगी, लेकिन वास्तविक तौर पर इसमें से केवल ३६ हजार नौकरियां ट्रेनी स्वरूप की हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) नेता व विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सोशल नेटवर्विंâग साइट एक्स पर किए गए अपने ट्वीट में सरकार के नमो महारोजगार मेला पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य सरकार बारामती में रोजगार मेला से साधारण बेरोजगार युवाओं को दिग्भ्रमित करने का काम कर रही है। इसमें सरकार ने यह सार्वजनिक नहीं किया कि इसमें कितने लोगों को कितने वेतन पर स्थाई नौकरियां मिली हैं?
इस सम्मेलन में कुल ४०० कंपनियों में से केवल १८ कंपनियां पुणे जिले से बाहर की थीं। इसमें सोलापुर की एक, सांगली की एक और मुंबई की एक कंपनी का समावेश है। यदि पुणे जिले में सही में इतने रोजगार और रोजगार के लिए लोग आ रहे हैं तो क्या पुणे शहर इतनी आबादी के भार को उठा सकेगा। सीमित संसाधनों के कारण इस आबादी को वैâसे समायोजित किया जाएगा। इसका जवाब सरकार के पास नहीं है।
महिलाओं के रोजगार में २२ फीसदी गिरावट
केंद्र सरकार ने माना है कि महिलाओं को दिए जानेवाले रोजगार में २२ फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि, किसी कंपनी ने यह जानकारी नहीं दी है कि कुल नौकरियों में महिलाओं और पुरुषों के लिए कितनी जगहें हैं। दूसरी तरफ सरकार की तरफ से बताया गया है कि ४०० कंपनियों ने हिस्सा लिया है, लेकिन केवल नौ कंपनियों ने अपनी वेबसाइटों पर मेला का विज्ञापन दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि शेष ३९१ कंपनियां सही में शामिल हुई थीं अथवा उन्होंने केवल दिखावा किया। इसे लेकर कोई भी स्पष्टता नहीं है। कई कंपनियों की जीएसटी रजिस्टर्ड नहीं हैं।