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संघप्रमुख का अजब आदेश हिंदुओं, अंग्रेजी न बोलें! …केवल पारंपरिक पहनावे ही पहनें

सामना संवाददाता / मुंबई
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक अजब आदेश देकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं, अंग्रेजी भाषा मत बोलिए। सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिंदुओं को पारंपरिक पहनावे ही पहनकर जाना चाहिए। पश्चिमी पोशाक तो कतई न पहनें। इसके साथ ही अपने स्थानीय खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें।
केरल के पठानमथिट्टा में हिंदू एकता परिषद में मार्गदर्शन करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म के प्रत्येक परिवार सप्ताह में कम से कम एक बार एक साथ इकट्ठा होकर प्रार्थना करें और उनकी मौजूदा जीवनशैली परपंरानुगत है अथवा नहीं, इस पर विचार-विमर्श करें। उन्होंने यह भी कहा कि क्या हमारी बोली-भाषा और परिधान हिंदू परंपरा के अनुसार हैं, इसका भी विचार करना चाहिए। हिंदू समाज को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए एकत्र आकर एक समुदाय के तौर पर खुद को मजबूत करना चाहिए। हिंदू धर्म में कोई भी श्रेष्ठ और कनिष्ठ नहीं है। जाति महत्वपूर्ण नहीं है। छुआछूत के लिए कोई स्थान नहीं है। सभी हिंदू इकट्ठा होंगे, तभी विश्व का कल्याण होगा। शक्ति का इस्तेमाल दूसरों को क्षति पहुंचाने के लिए न करें। इस तरह का आह्वान भी भागवत ने इस मौके पर किया।
सभी धर्मों का आदर करता है हिंदू धर्म
भागवत ने कहा कि दुनिया में होनेवाले संघर्षों के लिए धर्म ही जिम्मेदार है, क्योंकि कई लोगों को ऐसा लगता है कि उनका धर्म और श्रद्धा सर्वोच्च है। लेकिन हिंदू धर्म अलग है और वह सभी धर्मों का आदर करता है। इसके साथ ही एकात्मता को प्रमुखता देता है। धर्म का पालन नियमानुसार किया जाना चाहिए और नियमों की सीमा में कोई भी प्रथा नहीं बैठती है, तो उसे खत्म कर देना चाहिए। जातिवाद और छुआछूत धर्म नहीं है। यह खुद नारायण गुरु कहते थे।

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