अकस्मात

सभी स्वप्न पूरे न होने दो
स्वप्नावस्था बड़ी मधुर होती है।
इस मधुर सुख से वंचित रह जाओगे।
सभी रास्ते पूरे मत नापो
इन्हीं रास्तों पर साथी के
साथ चलते-चलते मिलने वाले
अनुपम आंनद को तरसते रह जाओगे।
सभी आलोचनाओं को दिल से न लगाओ
कचोटता मन सिखाता बहुत कुछ
अनुभव से उतना सीख न पाओगे।
प्रेम में मिले घात से आहत न होना
क्रोध में कुछ अहित न कर देना
क्षमा से मिला संतोष न पाओगे।
नाकामी पर लाचारी का मुलम्मा न चढ़ाओ
अपने को ठगने के बहाने न खोजो
इनसे कुछ मरहम तो लगता है,पर
जीवन की ढलान पर फिसलते जाओगे।
न लिख पा रहे हो कुछ बेमिसाल
हारा हुआ न समझो अपने को
क्या कहना छंदों, शब्दों, के
अकस्मात कभी झरने से फूट जाएंगे।
-बेला विरदी

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