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संडे स्तंभ : शतजीवी शिवाजी पार्क!

विमल मिश्र

शिवसेनाप्रमुख की शिवसेना की जन्मस्थली, पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली और जुलूसों का स्थान, संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की भूमि, मुंबई का सबसे विशाल पार्क व सर्वा‌धिक महत्वपूर्ण सभास्थल, भारतीय क्रिकेट की नर्सरी, और भी बहुत कुछ, अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर गया है दादर का छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क।

सचिन तेंडुलकर ने बैट पकड़ना कहां सीखा? भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे अधिक खिलाड़ी कहां की पैदाइश हैं? हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना कहां बनाई? कहां होती है शिवसेना की सबसे महत्वपूर्ण दशहरा रैली? महाराष्ट्र का जन्म कहां हुए आंदोलन से हुआ? इन सबका उत्तर एक ही है – मुंबई में दादर का शिवाजी पार्क। मुंबई के सबसे जीवंत स्थानों में से एक।
मनपा ने २७ एकड़ में फैले शिवाजी पार्क की १९२५ में स्थापना की थी। १९२७ में छत्रपति शिवाजी महाराज की ‌त्रि-शताब्दी के अवसर पर इस नामकरण से पहले यह कहलाता था ‘माहिम पार्क। फिर इसे एक के बाद एक गौरव हासिल होते गए। शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने रानाडे रोड पर ‘कदम निवास’ स्थित अपने घर में जून, १९६६ में शिवसेना की स्थापना की थी। इसी वर्ष ३० अक्टूबर को एक लाख लोगों की उपस्थिति में शिवसेना की पहली रैली के लिए उन्होंने शिवाजी पार्क को ही चुना। शिवाजी पार्क ने केंद्र और राज्य की सरकारों को बदलते देखा है। मनोहर जोशी के मुख्यमंत्रित्व में महाराष्ट्र में १९९५ में ‌भगवा सरकार बनने के बाद शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर जब पहली सरकार बनाई तो उसने शपथ ग्रहण के लिए यही स्थान चुना। २०१२ में यह मैदान ही शिवसेनाप्रमुख और २०२२ में स्वर कोकिला लता मंगेशकर का अंत्येष्टि स्थल बना और अब पास ही पूर्व मेयर बंगलों की जगह शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का नया स्मारक निर्माणाधीन है।
क्रिकेट की नर्सरी
‘शिवाजी पार्क मेरा दूसरा घर था’, टेस्ट क्रिकेटर विनोद कांबली बताते हैं। सचमुच, खेलों की, खासकर क्रिकेट की तो नर्सरी ही है शिवाजी पार्क जिमखाना। सचिन तेंडुलकर को उनके गुरु रमाकांत आचरेकर शिवाजी पार्क में मिले, जहां उन्होंने बैट पकड़ना सीखा। शिवाजी पार्क आज दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों का तीर्थस्थल माना जाता है। यहां क्रिकेट की आठ पिचें हैं। कोच रमाकांत आचरेकर और अंकुल अन्ना वैद्य की क्रिकेट अकादमियां यही हैं। सुनील गावसकर, दिलीप वेंगसरकर, सुभाष गुप्ते, अजीत वाडेकर, एकनाथ सोलकर, संदीप पाटील, रमाकांत देसाई, अजीत आगरकर, प्रवीण आमरे, विजय मांजरेकर, संजय मांजरेकर, माधव मंत्री, नरेन तम्हाणे, बालू गुप्ते, राजू कुलकर्णी, चंद्रकांत पंडित, प्रवीन आमरे और मनोहर हार्डीकर सरीखे क्रिकेट के अनमोल रत्न यहीं की धूल से निकले हैं। रोहित शर्मा बोरीवली से और अजिंक्य रहाणे डोंबिवली से खेलने यहीं आया करते थे।
संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की भूमि
ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता सेनानियों की कर्मभूमि रहा है शिवाजी पार्क। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक से लेकर महात्मा गांधी, ‘लॉर्ड ऑफ शिवाजी पार्क’ कहाने वाले आचार्य अत्रे से लेकर शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे व इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी, सोनिया गांधी व नरेंद्र मोदी तक ने अपनी राजनीतिक रैलियों में यहां लाखों की भीड़ जुटाई है। १९६२ में चीन के साथ युद्ध के बाद नेहरूजी ने भी यहां रैली की, जिसमें लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाकर सबको रुला दिया था। शिवाजी पार्क संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की भूमि भी है। महाराष्ट्र का तो जन्म ही यहीं उपजे आंदोलन से हुआ है। १ मई, १९६० को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लता मंगेशकर के प्रसिद्ध गीत ‘पयासदान’ के साथ महाराष्ट्र प्रांत की स्थापना की घोषणा की, तभी से महाराष्ट्र दिवस का मुख्य समारोह शिवाजी पार्क में ही होता है। यह पार्क मार्च, १९९३ में आतंकी बम हमलों का झटका भी झेल चुका है।
बड़ा और अनोखा
शिवाजी जंक्शन पर माहिम, पोर्तुगीज चर्च और दादर टीटी से आने वाली तीन मुख्य सड़कें आकर मिलती हैं। १८९६ में विनाशकारी प्लेग में हजारों जिंदगियां जाने के बाद दादर और माटुंगा के साथ शिवाजी पार्क मुंबई के उन मध्यवर्ती इलाकों में था, जिसे बॉम्बे इंप्रूवमेंट ट्स्ट ने फोर्ट इलाके की भीड़-भाड़ कम करने के लिए बसाया था। इस योजना के तहत स्वच्छता के प्रावधान के साथ यहां रिहायशी, व्यावसायिक और सार्वजनिक जगहें विकसित की जानी थीं। १६३६ से इसे इर्द-गिर्द बनी दो मंजिली छोटी इमारतों ने घेर लिया। शिवाजी पार्क का स्थापत्य, जिसमें स्थानीय प्रभाव के साथ वैश्विक प्रभाव भी दिखता है, पास की कलुसकर रोड, वीर सावरकर मार्ग और वैâडेल रोड की इमारतों के साथ दक्षिण मुंबई के आर्ट डेको स्थापत्य का सुंदर देशी जवाब है। शिवाजी पार्क जब कभी भी आएं, इसकी निचली बाउंड्री वाल ‘कट्टा’ पर हर समय रौनक लगी पाएंगे। नियोजित गलियों व पेड़ों की कतारों से घिरी सड़कों, पार्क, उद्यान और खुली जगहों के लिहाज से आज भी इस पार्क की शहर की बाकी जगहों से तुलना नहीं। यहां की रिहायशी इमारतों की तादाद करीब १९२ आंकी गई है, जिनमें ५० रीडेवलपमेंट के दौर से गुजर रही हैं। लिहाजा आर्ट डेको शैली की करीब दो या तीन मंजिला इमारतों की जगह १०-२० मंजिला इमारतें लेने लगी हैं। शिवाजी पार्क के साथ दादर की ही पारसी कॉलोनी और हिंदू कॉलोनी को भी ‘हेरिटेज’ घोषित किया गया है।
शिवसेनाप्रमुख का निर्माणाधीन स्मारक
रिहाइश के लिहाज से शिवाजी पार्क का मुंबई भर में अलग रुतबा है, जिसकी चुगली करते हैं यहां रहने वाले साहित्य, थियेटर, संगीत, खेलों और बिजनेस व उद्योग की दुनिया के धुरंधर और बेशकीमती सागरमुखी रीयल इस्टेट। शिवसेना भवन और मेयर बंगलो अब शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का निर्माणाधीन स्मारक यही हैं और विनायक दामोदर सावरकर सहित सावरकर बंधु, प्रबोधनकार ठाकरे, मनोहर जोशी, आचार्य अत्रे, केसरबाई केरकर, सुधीर फडके, वसंत देसाई, सी. रामचंद्र, गजानन जागीरदार, शाहू मोदक, शांता गोखले, मिलिंद सोमन सरीखों के घर भी। पूर्वी छोर के प्रवेश द्वार-जो केवल पैदल लोगों के लिए है, पर स्थापित है मां साहेब सौ. मीनाताई ठाकरे की प्रतिमा। खुद शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे की स्मृतिस्थल भी यहीं है।
अपने मुख्यमंत्री काल में शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने विधायक कोष से सवा करोड़ रुपए देकर शिवाजी पार्क में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्र‌तिमा व मार्गों की प्रोजेक्टर एलईडी लाइ‌टिंग के साथ नई सुविधाओं की व्यवस्था कराई है। धूल की समस्या और पानी की कमी न हो, इसके लिए मैदान और आस-पास ३५ कुएं खोदे गए हैं। यहां के सौ वर्ष से अधिक पुराने प्याऊ का भी जीर्णोद्धार किया गया है। मैदान को धूल से बचाने और लाल मिट्टी के ऊपर उसका ग्रीन कवर फिर से बहाल करने के लिए भी उपाय किए जा रहे हैं।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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