सामना संवाददाता / नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में एक बार फिर योग गुरु बाबा रामदेव को जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामों को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि मामले पर जानबूझकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है, कार्रवाई के लिए तैयार रहें। साथ ही कहा कि हम अंधे नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि हम आपका माफीनामा स्वीकार नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, `माफी मांगना पर्याप्त नहीं है। आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का परिणाम भुगतना होगा। हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते।’ योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की ओर से प्रचार में किए गए दावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया था।
उत्तराखंड सरकार को भी फटकार
पंतजलि आयुर्वेद के मामले में उत्तराखंड सरकार पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। पीठ ने यह भी कहा कि उत्तराखंड सरकार इसे ऐसे नहीं जाने दे सकती है। सभी शिकायतों को सरकार को भेज दिया गया।
सर्वोच्च अदालत का मजाक बन गया है
मामले पर जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमें माफी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए, जैसा कि अदालती उपक्रम को दिखाया गया है? हम आश्वस्त नहीं हैं। अब इस माफी को ठुकराने जा रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि कृपया १० दिनों के बाद सूचीबद्ध करें, अगर कुछ और है तो मैं कर सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का माखौल बनाया जा रहा है और प्राधिकार चुप बैठे हैं। बड़ी आसानी से आयुर्वेद दवाइयां आ रही हैं। शीर्ष अदालत ने आयुष मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर आपने हलफनामे में क्या कहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च अदालत का मजाक बन गया है।