उमेश गुप्ता / वाराणसी
पीएम नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी परियोजना में से एक, वाराणसी में चल रहे देश के पहले अर्बन रोपवे के निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है। रोपवे निर्माण कार्य पर रोक का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने तीन महिलाओं के याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। दरअसल, वाराणसी के तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया है कि उनकी जमीन पर नियमों के अनुसार अधिग्रहण किए बगैर ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। ऐसे में महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नियमों का हवाला दिया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस्ट एम.एम. सुंदरेश और करोली की पीठ ने फिलहाल के लिए निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले के सभी तथ्यों पर विचार करेगी और इस मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल महीने में होगी। ऐसे में तब तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को रोपवे निर्माण को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
इस मामले में सबसे पहले महिलाए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने या अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मामले में हाई कोर्ट से राहत न मिलने पर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीमकोर्ट पहुंची और अधिवक्ता रोहित अमित स्थालेकर के जरिए याचिका को दाखिल किया। मनसा सिंह सहित तीन महिलाओं की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल किए गए अपील पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अंतरिम आदेश पारित किया गया।
वाराणसी में रोपवे निर्माणकार्य के खिलाफ याचिकार्ताओं का आरोप है कि उनकी संपत्ति को न तो संबंधित प्राधिकरण के द्वारा अधिग्रहीत किया गया और न ही उसका मुआवजा उन्हें दिया गया। बिना इसके ही उनकी संपत्ति पर तोड़फोड़ किया गया और रोपवे निर्माण कार्य उनकी संपत्ति पर शुरू कर दिया गया। आरोप है कि अधिकरण ने उनकी फ्री होल्ड जमीन में अवैध रूप से तोड़-फोड़ किया। याचिकाकर्ताओं के द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोपवे निर्माणकार्य को यथास्थित बनाए रखने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल महीने में किया जाएगा।