सामना संवाददाता / नई मुंबई
सुप्रीम कोर्ट ने सिटी एंड इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सिडको) को झटका देते हुए नई मुंबई के हरित क्षेत्रों को विकास स्थलों में बदलने की मांग को खारिज कर दिया है। ४ नवंबर को एक निर्णायक पैâसले में सुप्रीम कोर्ट ने सिडको की याचिका को खारिज करके नई मुंबई के हरित क्षेत्रों के संरक्षण को बरकरार रखा। याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस पैâसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें महाराष्ट्र सरकार को निजी डेवलपर्स को खेल परिसर के लिए निर्धारित भूमि को पुन: आवंटित करने से रोका गया था। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार के २० एकड़ के खेल परिसर को नई मुंबई के घनसोली से महाराष्ट्र के रायगढ़ के नानोर गांव में ट्रांसफर करने का पैâसला रद्द कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें अपने बच्चों के लिए कुछ हरित क्षेत्रों की जरूरत है, खासकर मुंबई जैसे शहरों में। उन्होंने मनोरंजन और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए ऐसे क्षेत्रों की आवश्यकता पर जोर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने खेल परिसर को रायगढ़ जिले के मानगांव में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव की आलोचना की, जो लगभग ११५ किलोमीटर दूर है तथा स्थानीय समुदाय की सेवा के लिए बनाई गई सुविधा के लिए इतनी दूरी की व्यावहारिकता पर सवाल उठाया। कार्यवाही के दौरान सिडको का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि भूमि उपयोग निर्णय लेने में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि खेल परिसर के लिए प्रस्तावित स्थल अपर्याप्त है तथा वैकल्पिक स्थान पहले ही निर्धारित किया जा चुका है।