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कागजों तक सीमित है स्वच्छ भारत योजना! …वसई-विरार में सड़कों के किनारे लगा है कचरे का अंबार

राधेश्याम सिंह / विरार
वसई-विरार शहर महानगरपालिका की कार्यप्रणाली ने एक बार फिर भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वच्छ भारत अभियान योजना सिर्फ कागजों तक ही सिमित रह गई है। महापालिका क्षेत्र के शहर में गंदगी ही गंदगी नजर आ रही है। आलम यह है कि आज भी शहर के कई इलाकों में सड़कों पर कचरा पड़ा है, वहीं गंदे नालों का पानी सड़कों पर बह रहा है। जिससे कई प्रकार की बीमारियां पांव पसार रहीं है। साथ ही गायें सड़कों पर पड़े कचरे को खा कर बीमार हो रही हैं।
एक ओर इस समस्या से जुड़ी तस्वीरों ने स्वच्छ भारत अभियान को शर्मशार किया है, वहीं दूसरी तरफ इन सबसे बेपरवाह वसई विरार मनपा अधिकारी राज्य की २२ महानगरपालिकाओं में अपने आप को टॉप टेन लिस्ट में शामिल होने की वाहवाही लूटते रहते हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे के वसई विरार उत्तर भारतीय प्रमुख राकेश सिंह ने आरोप लगाया है कि स्वच्छ भारत की इस योजना में मनपा अधिकारी और ठेकेदार मिलकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
सड़कों पर फेंका जा रहा है कचरा
वसई तालुका कचरे के मायने में अनूठा है जहां शहर की सड़कों पर ही कचरे पड़ा रहता है। नालासोपारा शहर के गाला नगर, संतोष भवन, बिलालपाड़ा, धानिवबाग, गौराई पाड़ा आदि जगहों पर यह नजारा देखा जा सकता है। यहां आलम यह है कि सड़क पर चलने वाले राहगीर नाक पर रुमाल रखकर निकलते हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति तब होती है जब कचरे में कोई आग लगा देता है तो उससे निकलने वाले प्रदूषण से बचने को वाहन सवार अपनी गति बढ़ा देते हैं जो दुर्घटना का शिकार हो जाते है।

शहर में कहीं भी गंदगी नहीं है। हर रोज साफ सफाई सही से की जा रही है और रहीं संतोष भवन जैसे इलाकों की बात तो वह क्षेत्र हमारे हिसाब से बहुत क्रिटिकल क्षेत्र है। यहां हमेशा दिक्कत आती है। वहां महानगरपालिका की गाड़ी जाकर कचरा उठाती है। उसके बाद लोग फिर वहां पर कचरा लाकर फेंक देते हैं।
नाना साहेब कामटे, (उपायुक्त)
वसई-विरार शहर महानगरपालिका)

 

 

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