-मनपा ने दिखावा के लिए रु. 1000 का ठोका जुर्माना
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई जैसे महानगर में जहां हर कदम पर प्रदूषण और आग से सुरक्षा को लेकर नियम बनाए जाते हैं, वहीं रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा चर्चगेट स्टेशन के पास खुले में दस्तावेज जलाना न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाता है, बल्कि यह शहर के प्रशासनिक ढांचे की खामियों को भी उजागर करता है।
रिपोर्ट की मानें तो मनपा ने भले ही आरपीएफ पर १,००० रुपए का जुर्माना ठोक दिया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जुर्माना पर्याप्त है? जब एक सरकारी संस्था खुद नियमों की अवहेलना करती है तो आम नागरिकों से वैâसे अनुशासन की अपेक्षा की जा सकती है? खुले में कचरा जलाना न सिर्फ वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है, बल्कि आस-पास के लोगों की सेहत और सुरक्षा के लिए भी खतरा बनता है।
मनपा इस पूरे मामले में केवल प्रतिक्रिया देती नजर आई। शिकायत मिलने पर टीम भेजी, आग बुझाई और एक मामूली जुर्माने का नोटिस थमा दिया गया। यह वही मनपा है, जो अक्सर आम नागरिकों पर खुले में कचरा फेंकने या जलाने पर कड़ी कार्रवाई का दम भरती है। लेकिन जब बात सरकारी एजेंसियों की हो तो कार्रवाई सिर्फ प्रतीकात्मक रह जाती है।
प्रबंधन प्रणाली में खामियां
वहीं आरपीएफ जैसी सुरक्षा संस्था का यह गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार साफ दर्शाता है कि आंतरिक कचरा प्रबंधन प्रणाली में गंभीर खामियां हैं। दस्तावेजों को जलाने के बजाय उन्हें सुरक्षित रूप से नष्ट करने की व्यवस्था न होना संस्थागत विफलता का संकेत है।