अजय भट्टाचार्य
तेलुगू देशम पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने आंध्र प्रदेश विधानसभा की १७५ में से १६४ सीटें जीतकर भारी जीत हासिल की। तेदेपा ने ने १४४ सीटों में से १३५ सीटें जीतीं, जबकि जन सेना पार्टी (जेएसपी) ने अपनी सभी २१ सीटों पर जीत हासिल की और भाजपा ने १० सीटों में से ८ सीटें जीतीं। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने केवल ११ सीटें जीतीं। १२ जून को आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से सत्तारूढ़ तेदेपा और जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं। इस महीने की शुरुआत में तेदेपा ने आरोप लगाया कि उसने विशाखापट्टनम के रुशिकोंडा में जगन के महल को खोदकर निकाला है, जिसके बारे में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने दावा किया था कि वह इसे सीएम वैंâप ऑफिस-कम-टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित कर रही थी। कुछ दिनों बाद, नायडू सरकार ने विजयवाड़ा के बाहरी इलाके ताड़ेपल्ली में वाईएसआरसीपी के केंद्रीय कार्यालय को ध्वस्त कर दिया, यह दावा करते हुए कि इसे आवश्यक अनुमति के बिना बनाया गया था। अब यह बुलडोजर पूरे आंध्र प्रदेश में सक्रिय है और जगन मोहन की पार्टी के दफ्तर उसके निशाने पर हैं। चूंकि प्रचंड बहुमत है इसलिए नायडू सरकार वाईएसआरसीपी के प्रमुख वाई एस जगन मोहन रेड्डी को विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद देने के मूड में नहीं दिख रही है। पहला संकेत २१ जून को मिला, जब नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ली। परंपरा के अनुसार, सदन के नेता पहले शपथ लेते हैं, उसके बाद विपक्ष के नेता, जिसके बाद मंत्री शपथ लेते हैं। हालांकि, जगन को मंत्रियों के बाद शपथ लेने के लिए बुलाया गया। इससे पता चलता है कि उन्हें विपक्ष के नेता के पद के लिए नहीं माना जा रहा है। इधर जगन ने विपक्ष का नेता पद पाने की मांग के साथ एक पत्र में उस वीडियो की प्रति संलग्न की है, जिसमें स्पीकर चुने जाने से पहले अय्यान्ना ने जगन को एक ऐसा व्यक्ति बताया था जो ‘हारा हुआ है, लेकिन अभी मरा नहीं है और कहा था कि उसे पीट-पीटकर मार दिया जाना चाहिए। मतलब साफ है कि आंध्र में सरकारी गुंडागर्दी परवान चढ़ने वाली है।
मक्कम पटेल
मृदु (मृदुभाषी) के रूप में पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल अब विवादों में घिरी अपनी सरकार की छवि बदलने के लिए ‘मक्कम (दृढ़)’ हो गए हैं। हाल ही में सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की कई घटनाएं सामने आई हैं। इससे मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई भड़क गए हैं और उन्हें हाईकमान ने सख्त कार्रवाई करने को कहा है। पिछले सप्ताह दो क्लास वन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई ने सभी को चौंका दिया है। भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच एसएसएनएल के अधीक्षण अभियंता जे जे पंड्या को समय से पहले सेवानिवृत्ति दे दी गई। कुछ दिन पहले आईएएस अधिकारी व सूरत के पूर्व कलेक्टर आयुष ओक को जमीन घोटाले में निलंबित कर दिया गया था। अनियमितताओं के आरोपों के बाद रविवार को वडोदरा जिले के डिप्टी मामलतदारों सहित राजस्व विभाग के करीब १५० कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया। गुजरात इंफॉर्मेटिक्स लिमिटेड से जुड़ी पूर्व कार्यकारी लेखाकार रुचि भावसार पर भी यही कार्रवाई हो सकती है, जिन पर काफी संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। ओक के निलंबन से घबराकर सूरत के कलेक्टर डॉ. सौरभ पारधी गांधीनगर पहुंचे और अपनी गलती स्वीकार की। उन्होंने उमरपाड़ा में लगभग ७,००० वर्ग मीटर कीमती जमीन को एन. ए. देने के आदेश पर हस्ताक्षर किए, जो पारसी पंचायत की है और वर्तमान में न्यायालय में है। पारधी को पिछले सप्ताह गांधीनगर में देखा गया था। अपने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलते समय वे तनाव में दिख रहे थे। चाहे गलती वास्तविक थी या अब उन्हें पता है कि वे पकड़े जाएंगे, उन्होंने संदेह का लाभ उठाने के लिए अपनी गलती स्वीकार करने का विकल्प चुना। उनकी पिछली पोस्टिंग में अनियमितताओं के भी आरोप हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)