अजय भट्टाचार्य
गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट पर वोटरों को बेटी और बहन में किसी एक का चुनाव करना है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है क्योंकि कांग्रेस की उम्मीदवार जेनीबेन ठाकोर काफी मजबूत स्थिति में हैं। भाजपा ने रेखा चौधरी को उम्मीदवार बनाया है और दोनों महिलाएं कड़ी मेहनत कर रही हैं। वे मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इमोशनल कार्ड खेल रही हैं। रेखा दावा करती हैं कि वह बनास जिनी की `बेटी’ हैं और खुद को बनास की `बहन’ कहती हैं। उधर, गेनीबेन ने अपने विशिष्ट अंदाज में एक सभा में कहा, `मुझे इतने मामेरू (मातृ पक्ष से उपहार) दो कि दिल्लीवाला ध्यान दें। पेशे से शिक्षिका रेखा अपनी शिक्षा का दावा करती हैं और कहती हैं कि मैं अंग्रेजी-हिंदी अच्छी तरह जानती हूं और दिल्ली में आपकी समस्याओं का प्रतिनिधित्व करूंगी। बेटी या बहन, मतदाताओं के लिए कठिन विकल्प।
भाजपा के खिलाफ सक्रिय क्षत्रिय
परषोत्तम रूपाला के बयान और राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष राज शेखावत की पगड़ी उतरने के प्रकरण ने राजपूताना सहित उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय समाज तक राजपूत आन-बान-शान को झकझोर दिया है। नतीजा यह है कि क्षत्रिय समाज को लगने लगा है कि भाजपा की गुजरात लॉबी एक-एक कर सभी समाज को ठिकाने लगाने पर लगी है। राजनाथ सिंह से लेकर रमन सिह तक भाजपाई क्षत्रिय नेतृत्व को योजनाबद्ध तरीके से खत्म किया जा रहा है। जनरल वीके सिंह का टिकट कटने को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नाराज क्षत्रिय संगठनों ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समाज के नेताओं ने गांव-गांव में बैठक करके आरोप लगाते हुए क्षत्रिय समाज को बताना शुरू कर दिया है कि भाजपा क्षत्रियों की सियासी हिस्सेदारी और ताकत को कम कर रही है। उनको पहले के मुकाबले टिकट वितरण में कम भागीदारी दी गई। यह उनके सियासी दबदबे और महत्व को कम आंकने की कोशिश है। सहारनपुर में `क्षत्रिय महाकुंभ’ के बैनर तले हुई क्षत्रिय पंचायत में भाजपा के बॉयकॉट का निर्णय किया गया। महापंचायत में ये बात रखी गई कि भाजपा ने अब तक घोषित टिकट में सिर्फ ८ टिकट क्षत्रिय समुदाय को टिकट दिए हैं, जबकि २०१९ और २०१४ में क्षत्रिय नेताओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्षत्रिय बहुल लोकसभा सीटों में सिर्फ एक ठाकुर सर्वेश सिंह को मुरादाबाद से टिकट दिया गया है। गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में जहां ४ से ५ लाख क्षत्रिय वोटर हैं, वहां उनको प्रतिनिधित्व नहीं मिला। सहारनपुर की पंचायत में पिछले दिनों राजा मिहिर भोज नाम पर हुए एक कार्यक्रम की भी बात की गई और कहा गया कि गुर्जर समुदाय के लोगों ने जिस तरह क्षत्रिय समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया, उसमें भाजपा के नेता प्रदीप चौधरी भी शामिल थे, जिन्हें भाजपा ने दोबारा वैâराना से टिकट दिया है।
रूपाला का पुतला फूंका
ऐन चुनाव से पहले चित्तौड़गढ़ कलक्ट्रेट में शनिवार को पूरे दिन राजपूत समाज के लोगों ने राजकोट के भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की। राजपूत समुदाय के लोग भाजपा प्रत्याशी परषोत्तम रूपाला की कथित राजपूत विरोधी टिप्पणी से आहत हैं। प्रदर्शन के दौरान रूपाला को पार्टी से नहीं निकाले जाने पर लोकसभा चुनाव में भाजपा का बहिष्कार करने का संकल्प लिया गया। साथ ही प्रधानमंत्री के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। समाज की आक्रोशित महिलाओं ने कहा कि राजपूत समाज की अनदेखी की गई और परषोत्तम रूपाला का टिकट नहीं काटा गया, लेकिन राजपूत समाज में इतनी ताकत है कि वह अच्छे-अच्छे लोगों का टिकट काट सकता है। सभी ने जिला कलक्ट्रेट पर परषोत्तम रूपाला का पुतला भी फूंका। जौहर स्मृति संस्थान के बैनर तले राजपूत समाज ने मानव शृंखला बनाकर परषोत्तम रूपाला के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। समाज ने शपथ ली कि अगर रूपाला का टिकट रद्द नहीं किया गया तो देशभर का राजपूत समाज लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट करेगा। इस विवाद को शांत करने के लिए भाजपा ने प्रभावशाली राजपूत नेताओं को समुदाय को समझाने की जिम्मेदारी सौंपी है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद वीके सिंह ने राजस्थान में राजपूत समुदाय के संगठनों से फीडबैक लिया। यह अलग बात है कि दोनों केंद्रीय राजपूत नेताओं से मुलाकात में ज्यादातर भाजपा से जुड़े नेता शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन कर रहे संगठन शामिल नहीं हुए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)