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झांकी : पटेल की मेहनत पर शक

अजय भट्टाचार्य

गुजरात की अमराईवाड़ी विधानसभा सीट के पूर्व विधायक जगदीश पटेल उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए प्रचार करनेवाले गुजरात के विभिन्न नेताओं में एक प्रमुख नाम बनकर उभरे हैं। पटेल उस कोर टीम का हिस्सा हैं, जिसने वाराणसी में प्रचार अभियान को संभाला था, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव मैदान में थे। पार्टी के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि पटेल चुनाव की अधिसूचना जारी होने से छह महीने पहले से ही वाराणसी में डेरा डाले हुए थे। जगदीश पटेल को निश्चित रूप से एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है, जो वाराणसी में मोदी के विश्वासपात्र के रूप में दिवंगत सुनील ओझा की जगह लेंगे।’ भावनगर से भाजपा के पूर्व विधायक ओझा पिछले साल नवंबर में दिल का दौरा पड़ने से पहले कई वर्षों तक वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी थे। अब पटेल की मेहनत में क्या कमी रह गई कि वाराणसी में भक्तों के भगवान की जीत का अंतर पिछली बार की तुलना में बहुत कम रहा।
कहानी हाथ और कमल की

सन १९७७ में आपातकाल खत्म होने के बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। यह वह पहला चुनाव था, जिसमें कांग्रेस के हाथ से देश की सत्ता छिन गई थी। यह वास्तव में आपातकाल के दौर के कटु अनुभवों से उपजी देश के मतदाताओं की लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया थी। सत्ता से बेदखल हुईं इंदिरा गांधी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में वयोवृद्ध संत देवरहा बाबा से मिलने के लिए पहुंचीं। देवरहा बाबा ने उन्हें हाथ, यानी `पंजा’ उठाकर आशीर्वाद दिया। शायद इंदिरा गांधी ने इसे शुभ संकेत माना। देवरिया से वापसी के बाद इंदिरा गांधी ने अपनी पार्टी कांग्रेस का चुनाव चिह्न `हाथ का पंजा’ तय कर लिया। इसी निशान पर उन्होंने १९८० का लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला और इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई। माना जाता है कि इंदिरा गांधी को आशीर्वाद देनेवाले देवरहा बाबा चमत्कारिक दैवीय शक्तियों से संपन्न सिद्ध संत थे। देवरिया के निवासी होने के कारण उन्हें देवरहा बाबा के नाम से जाना जाता था। देवरहा बाबा का निधन १९ जून १९९० को हुआ था। माना जाता है कि तब उनकी उम्र ५०० साल थी, जबकि आज के दौर में कांग्रेस से मुकाबला करने वाली भारतीय जनता पार्टी सन १९५२ के पहले लोकसभा चुनाव से ही अपने अलग नाम के साथ अस्तित्व में रही। तब इसका नाम भारतीय जनसंघ था। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में अखिल भारतीय जनसंघ का गठन २१ अक्टूबर १९५१ को हुआ था। पहले लोकसभा चुनाव में इस पार्टी को `दीपक’ चुनाव चिह्न मिला था। सन १९७७ में देश में आपातकाल खत्म होने के बाद भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया। तब बनी जनता पार्टी लोकदल के चुनाव `हलधर किसान’ पर चुनाव लड़ी थी, जिसका हिस्सा जनसंघ भी था। ६ अप्रैल १९८० को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। इस पार्टी को चुनाव चिह्न `कमल’ मिला।
नए सदन की योजनाएं
कल लोकसभा चुनाव की मतगणना के साथ ही लोकसभा सचिवालय ने नए सदस्यों के स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी हैं। लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने १८वीं लोकसभा के सदस्यों के निर्बाध पंजीकरण के लिए की गई व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। इस बार यह प्रक्रिया पूरी तरह से कागज रहित होगी। सचिवालय, हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर डिजिटल पंजीकरण डेस्क, गाइड पोस्ट स्थापित करेगा। पारगमन आवास स्थापित करने की तैयारी भी चल रही है। २० पंजीकरण काउंटर होंगे। संसद भवन एनेक्सी में बैंक्वेट हॉल और निजी भोजन कक्ष में १०-१०। सचिवालय ने पंजीकरण के उद्देश्य से ७० अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया है।

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