अजय भट्टाचार्य
अपने प्रदेश से दिल्ली पार्सल कर दिए गए मामाजी के फोन की घंटी टनटनाई। मामाजी के पीए ने फोन उठाया तो सामने से आवाज आई, ‘हलो मी लाडक्या भाऊ बोलतोय, जरा मामा ला फोन द्या।‘ पीए ने मामाजी को जाकर बताया कि साहब किसी लाडक्या भाऊ का फोन है। मामाजी फोन पर आए और बोले, कौन लाडक्या भाऊ?’
‘अरे साहेब मी बोलतोय, फेकनाथ।‘
‘कहां से बोल रहे हो’? मामा ने पूछा।
‘महाराष्ट्र से, पहचाना नहीं क्या? मामा मैंने अपने राज्य में लाडकी बहीण योजना शुरू की और इसी वजह से अब आपकी पार्टी सहित हमारी सरकार बनेगी। अभी समझा क्या? मैं कौन।‘
‘हां समझा, बधाई। ध्यान रखिए इससे सरकार बनती है, लेकिन योजना लागू करनेवाला मुख्यमंत्री नहीं बनता, यह मेरा अनुभव है।‘
सुनते ही भाऊ ने फोन कट किया और सीधे अपने गांव चल दिए।
डर
कभी महायुति सरकार में मंत्री रहे और २०२४ के लोकसभा चुनाव में महायुति की ओर से परभणी लोकसभा चुनाव लड़नेवाले नेताजी इन दिनों भाजपा की आलोचना कर रहे हैं। दिलचस्प यह है कि लोकसभा चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए प्रचार सभा की थी। विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी के कई उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें सिर्फ एक सीट पर सफलता मिली। अब उन्हें डर है कि पार्टी का इकलौता विधायक खुद को ही न पार्टी का सर्वेसर्वा घोषित कर सरकार में शामिल हो जाए!
धोखाधड़ी पर भाजपा चुप
पार्टी से जुड़े व्यक्तियों से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों के बीच भाजपा स्पष्ट रूप से चुप रही है। सबसे हालिया विवाद भूपेंद्र सिंह झाला से जुड़ा है, जो ६,००० करोड़ रुपए के निवेश घोटाले में फंसे हैं। कई भाजपा नेताओं के साथ अपनी निकटता के लिए जाने-जानेवाले झाला ने कथित तौर पर पार्टी के एक विधायक के समर्थन से वर्षों तक बेखौफ काम किया। एक अन्य घटना में भाजपा विधायक कन्या लाल किशोरी के पिता आश्रम शालाओं (एससी / एसटी छात्रों के लिए बोर्डिंग स्कूल) में नौकरी दिलाने के लिए मोटी रिश्वत मांगते पकड़े गए। बढ़ते सबूतों के बावजूद, पार्टी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। चुप्पी के कारण जमीनी स्तर के कार्यकर्ता नेतृत्व का बचाव करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक उत्तेजित भाजपा विधायक ने दुख जताते हुए कहा, ‘नेता वातानुकूलित कार्यालयों में आराम से बैठते हैं, जबकि हम जनता के गुस्से का सामना करते हैं। हमारे पास उनके लिए कोई जवाब नहीं है।’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)