मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : गुरुकुल मंत्रणा

झांकी : गुरुकुल मंत्रणा

अजय भट्टाचार्य

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री नंबर एक बीते सप्ताहांत अपनी पार्टी के नागपुर स्थित गुरुकुल मुख्यालय में दंडवत थे और गुरुकुल पदाधिकारियों के साथ लंबी बैठक की। नागपुर के रेशमबाग में स्थित मुख्यालय में निर्मित गुरुकुल के आदिगुरु स्मृति मंदिर का दौरा किया। गुरुकुल के भीतर से छनकर आई खबरों के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री नंबर एक और गुरुकुल नेताओं के बीच बैठक संगठनात्मक मामलों से संबंधित थी, जिसमें महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले गुरुकुल के चेलों के साथ पार्टी के समन्वय को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया। अलबत्ता पार्टी के एक पदाधिकारी के अनौपचारिक बयान के मुताबिक, पार्टी और गुरुकुल के नेतृत्व वाले सभी दक्षिणपंथी संगठनों के बीच समन्वय बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की गई। पार्टी को महायुति के भीतर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि दोनों गद्दार धड़े अपने-अपने संगठनों और चुनावी आंकड़ों को मजबूत करने की होड़ में लगे हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने पहले ही लाडली बहन योजना, किसानों को मुफ्त बिजली और युवाओं को वजीफा जैसी कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन रणनीतिकारों का मानना है कि जनता तक पहुंचने के लिए कार्यकर्ताओं के व्यापक समर्थन की आवश्यकता है। गुरुकुल में महाराष्ट्र की उस नवनियुक्त आईएएस अधिकारी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई जिसने अपनी परिवीक्षा अवधि पूरी करने के बाद कार्यभार ग्रहण नहीं किया और प्रशासन द्वारा सौंपे गए कार्य में शामिल न होने के बारे में मुख्य सचिव कार्यालय को रिपोर्ट भेजी गई। महाराष्ट्र के उस वरिष्ठतम नौकरशाह को यह सुनकर झटका लगा कि वह एक अलग पद पर आदेश की उम्मीद कर रही थी क्योंकि उसने अपने राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल किया था। यह राजनीतिक संबंध क्या किसी नेता से जुड़े हैं, गुरुकुल जानना चाहता है। पार्टी के प्रदेश मुखिया के यहां से एक खबर यह फेंकी गई है कि पार्टी ९ से १६ अगस्त तक एक जनसंपर्क कार्यक्रम की योजना बना रही है। इस अवधि के दौरान नेता और कार्यकर्ता सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक ले जाएंगे। एक अन्य मुद्दा जो पार्टी के एजेंडे में है, वह महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के लिए बढ़ते मुस्लिम समुदाय के समर्थन का मुकाबला कैसे किया जाए।

कहीं खुशी कहीं गम
पिछले सप्ताह गुजरात की नौकरशाही में हुए फेरबदल से कहीं खुशी कहीं गम जैसा माहौल है। वरिष्ठ नौकरशाहों के तबादले से कुछ लोगों को सुखद आश्चर्य हुआ, तो कुछ को निराशा हुई। कुछ वरिष्ठ अधिकारी, जो अच्छी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे थे, बेहतर पदों के लिए अपना पक्ष रखने के बावजूद दरकिनार कर दिए गए। यह लंबा इंतजार था, लेकिन इसके लायक नहीं था। एक असंतुष्ट अधिकारी को यह कहते हुए सुना गया, ‘मुझे जो उम्मीद थी, उसके विपरीत मिला है।’ इस फेरबदल में शिक्षा विभाग में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। उच्च शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव मुकेश कुमार को अब प्राथमिक शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया है, जबकि प्राथमिक शिक्षा के सचिव विनोद राव को श्रम एवं रोजगार विभाग में भेजा गया है। दोनों अधिकारियों को अपनी असफल परियोजनाओं के लिए हाईकमान की नाराजगी का सामना करना पड़ा। कॉलेजों में केंद्रीकृत प्रवेश के लिए कुमार की जीसीएएस योजना आंशिक रूप से ही सफल रही, जबकि राव की ज्ञान सेतु परियोजना विवादों में घिरी रही। अब नए अधिकारियों को काम सीखने की जरूरत होगी। राव गुजरात उच्च न्यायालय की आलोचना का सामना कर रहे हैं, जिसने सरकार से हरनी झील त्रासदी में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है। हरनी में नौका विहार के लिए ठेके दिए जाने के समय राव वडोदरा नगर आयुक्त थे। सचिवालय उच्च न्यायालय में मामले के नतीजे का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, जो तय करेगा कि राव के लिए और क्या करना बाकी है। फिलहाल ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स का काम संभाल रही प्रधान सचिव ममता वर्मा को अब उद्योग और खान विभाग सौंपा गया है। वैसे उन्हें केंद्र के लिए सूचीबद्ध किया गया था और वे दिल्ली जाने की इच्छुक थीं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वे यहीं रहेंगी। राज्य में उद्योग विभाग काफी महत्वपूर्ण है, जो अपने औद्योगिक कौशल पर गर्व करता है। राज्य में कई बड़े निवेश आ रहे हैं, और ममता के पास बहुत काम है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

अन्य समाचार