अजय भट्टाचार्य
मतदान से सिर्फ तीन दिन पहले दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल की बेटी मुमताज का नवसारी में चुनाव प्रचार में शामिल होना कितना असर दिखाएगा यह आज मतपेटियों में बंद हो जाएगा। नवसारी से राज्य भाजपा प्रमुख सीआर पाटील चुनाव मैदान में हैं। यहां तक कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी उनके निर्वाचन क्षेत्र में अचानक प्रवेश से आश्चर्यचकित थे क्योंकि वह इतने समय तक दूर रहीं। अपनी `अंतरात्मा की आवाज’ पर ध्यान देकर चुनाव प्रचार में मुमताज का अचानक कूदना राजनीतिक पंडित समझ नहीं पा रहे हैं। वैसे कांग्रेस के लिए उनके पिता ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। प्रचार के दौरान उनका यह कहना भी महत्वपूर्ण है कि किसी ने भी प्रचार के लिए उनसे संपर्क नहीं किया था।
सेल्फ गोल की प्रयोगशाला
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व समझ नहीं पा रहा है कि गुजरात में एक के बाद एक ‘सेल्फ गोल’ क्यों ठोका जा रहा है। राजकोट इस सेल्फ गोल की प्रयोगशाला बनकर उभरा है, जहां परषोत्तम रूपाला की एक सार्वजनिक टिप्पणी से राजपूत बिफर गए। जब तक यह रायता संभलता पूरे गुजरात भाजपा में लेउवा बनाम कड़वा पटेल का शीत युद्ध सतह पर आ गया। इसमें आग में घी डालने का काम यह हुआ कि लेउवाओं को `उठने और जागने’ का आग्रह करनेवाले पर्चे प्रसारित करने के मामले में राजकोट में चार लेउवा पाटीदार युवाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इस गिरफ्तारी ने राजकोट में लेउवा और कड़वा पाटीदारों के बीच वर्चस्व के जंग की दीवार में एक और र्इंट रख दी है। पिछले दिनों लेउवा और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल (एक लेउवा पाटीदार) के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए भाजपा के राजकोट लोकसभा उम्मीदवार परषोत्तम रूपाला, जो कड़वा पाटीदार हैं, पर पर्चों में हमला बोला गया। राजकोट से कांग्रेस उम्मीदवार परेश धनानी लेउवा पाटीदार हैं। क्षत्रिय समुदाय पहले से ही पूर्ववर्ती रियासतों के राजपूत शासकों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए रूपाला के खिलाफ है। पर्चों में केशुभाई पटेल और आनंदीबेन पटेल लेउवा के समय से राजनीतिक वर्चस्व हासिल करने के लिए लेउवा और कड़वा के बीच रस्साकशी पर प्रकाश डाला गया था। क्षत्रिय और पाटीदार समुदाय का विवाद भाजपा को परेशान कर ही रहा था कि इस बीच गुजरात के वित्त राज्यमंत्री कनु देसाई ने कोली समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है, जिसका वोट गुजरात के कई निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक है। देसाई ने एक सार्वजनिक बैठक के दौरान एक मुहावरे का इस्तेमाल किया, जिसकी एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जो कोली समुदाय को पसंद नहीं आई है। क्षत्रिय और पाटीदार समुदाय के बाद अब भाजपा नेता ने कोली समुदाय पर भी गाज गिरा दी है।
गांधीगीरी
गुजरात के नवसारी शहर में धोती और बनियान पहने, मुट्ठी भर समर्थकों के साथ हाथ में छड़ी लिए चल रहा एक चश्माधारी बूढ़ा व्यक्ति उत्सुकता से लोगों की ओर आकर्षित होता है। वह नवसारी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार नैषध देसाई हैं और यह मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने का उनका तरीका है, क्योंकि उनके पास भाजपा से प्रतिस्पर्धा करने के लिए `धन बल’ नहीं है। देसाई कहते हैं, `मैं उसी तरह पदयात्रा कर रहा हूं, जैसे गांधीजी ने १९३० के ऐतिहासिक नमक मार्च के दौरान अमदाबाद से दांडी तक की थी।’ जिस दिन उनके नाम की घोषणा की गई, उन्होंने अपना सिर मुंडवा लिया और गांधी जी की तरह धोती पहनना शुरू कर दिया और एक डांडो (बड़ी छड़ी) उठा ली। परिधान शैली बदल दी और अपना लुक महात्मा गांधी जैसा बना लिया। २००-३०० कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ, देसाई का अभियान हर दिन पदयात्रा के साथ शुरू होता और वह मतदाताओं से मिलने के लिए चिलचिलाती गर्मी में नवसारी के विभिन्न इलाकों का दौरा करते रहे। खादी कपड़े उन्हें चिलचिलाती गर्मी से बचाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, `प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साबरमती आश्रम (अमदाबाद में) और दिल्ली में राजघाट जाते हैं, लेकिन उनके अनुयायी दिन-ब-दिन गांधीजी को गाली देते हैं।’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)