मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : भुजबल अलग-थलग

झांकी : भुजबल अलग-थलग

अजय भट्टाचार्य

महायुति सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज छगन भुजबल राकांपा (अजीत पवार) में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं। वरिष्ठ नेताओं की आलोचना कर उन्होंने दलबदल का संकेत दे दिया इसलिए उन्हें कोई समझाने भी नहीं आया। इसके विपरीत, स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने यह रुख अपनाया कि पार्टी ने उन्हें मंत्री पद न देकर गलती नहीं की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने विदेश गए भुजबल को अब सिर्फ भाजपा का आसरा है। स्थानीय स्तर पर भुजबल के समर्थकों को छोड़कर पार्टी का एक भी विधायक उनके साथ खड़ा नहीं दिखा। भुजबल पिछले दो दशकों से स्थानीय पार्टी संगठन पर अकेले ही हावी रहे हैं। पार्टी के भीतर एक गुप्त मराठा-ओबीसी संघर्ष हुआ करता था।, भुजबल ने किसी की परवाह किए बिना प्रशासन चलाया। परिणामस्वरूप, स्वतंत्र पार्टी के स्थानीय विधायक भी अलग-थलग हो गए हैं। भुजबल ने पार्टी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल पर अपना गुस्सा निकाला था। जहां भुजबल रोजाना उनकी आलोचना करते थे, वहीं पार्टी उन्हें जवाब देने से बचती थी। हालांकि, बाद में नवनियुक्त कृषि मंत्री माणिक कोकाटे भुजबल के खिलाफ मैदान में उतरे।
शापित बंगला
फडणवीस सरकार में मंत्रियों को बंगले आवंटित किए गए और चंद्रशेखर बावनकुले को रामटेक बंगला मिला है। रामटेक बंगला बड़े मंत्रियों को दिया जाता है। यह बंगला बहुत विशाल है। मालाबार हिल क्षेत्र में रामटेक से भी समुद्र दिखता है। लेकिन बावनकुलेस के कार्यकर्ता और करीबी चिंतित थे/हैं। क्योंकि इस बंगले को शापित माना जाता है। इस बंगले में रह चुके कई मंत्री विवादों में रह चुके हैं। कुछ मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा है। लेकिन जैसे ही पंकजा मुंडे ने रामटेक बंगला मांगा, बावनकुले के कार्यकर्ताओं ने राहत की सांस ली, क्योंकि उन्हें खर्राटों की वजह से खांसी होने का अहसास होता था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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