अजय भट्टाचार्य
स्थानीय निकाय चुनाव से पहले मंडल, शहर, जिला और तालुका अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर गुजरात भाजपा में अंदरूनी कलह उभरकर सामने आई है। असंतोष इतना गहरा है कि नेताओं ने खुलकर अपना विरोध जताया है। अमदाबाद में आंतरिक विवादों के कारण पार्टी अभी तक पांच वार्डों में अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं कर पाई है। इस बीच, भरूच से भाजपा सांसद मनसुख वसावा ने संदीप पटेल को झगड़िया का अध्यक्ष नियुक्त करने के अपनी पार्टी के पैâसले की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है। वसावा ने सोशल मीडिया पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि संदीप ने कभी भी तालुका में भाजपा के काम में योगदान नहीं दिया है और वे अपने गांव तक ही सीमित रहते हैं। पार्टी के भीतर बढ़ती दरार को उजागर करते हुए एक वरिष्ठ नेता ने चुटकी ली, ‘यह ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है। अगर इस बुनियादी स्तर पर इतना विरोध है, तो आगे क्या होगा?
रामनगर में कांग्रेस बाहर
उत्तराखंड की राजनीति में यह पहली बार हुआ है कि कांग्रेस ने अपने पारंपरिक गढ़ रामनगर निकाय चुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। यह पैâसला हरीश रावत और रणजीत रावत के बीच चल रही खींचतान का नतीजा माना जा रहा है। अंजाम यह है कि रामनगर में इस बार पार्टी चुनावी मैदान से ही बाहर हो गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस घटनाक्रम को लेकर गहरी निराशा है। कांग्रेस के भीतर गुटबाजी का सीधा लाभ भाजपा को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की हार भी पार्टी की अंदरूनी कलह का परिणाम थी। संक्षेप में कहें तो अपनी आंतरिक समस्याओं को हल करने में असफल पार्टी जनता का विश्वास खो रही है। सियासी जानकारों के मुताबिक कांग्रेस की गुटबंदी आगामी चुनावों में पार्टी को नुकसान कर सकती है। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व को तुरंत हस्तक्षेप कर विवादों को सुलझाने की जरूरत है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)