मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : गढ़ भेदने की तैयारी

झांकी : गढ़ भेदने की तैयारी

अजय भट्टाचार्य

महाराष्ट्र में सरकार बनने / बनाने के बाद भाजपा का अगला लक्ष्य पूर्व मुख्यमंत्री को ठाणे में निपटाने का है इसलिए पिछली सरकार में ठाणे जिले से भाजपा कोटे से मंत्री रहे एक विधायक को इस बार मंत्रिमंडल में न शामिल कर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने की मुहिम नागपुर लॉबी ने शुरू की है। ठाणे में गद्दार सेना के ६ और भाजपा के ९ विधायक हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री के काफी करीबी इस विधायक की जगह नई मुंबई के एक मजबूत को नेता मंत्रिमंडल में लाकर गद्दार सेना के मुखिया को घेरने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बने ठाणे के इस नेता का नई मुंबई वाले से ३६ का रिश्ता रहा है। अमित शाह ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि भाजपा २०२९ में अपने दम पर सत्ता में आएगी। पार्टी के शत-प्रतिशत प्रदर्शन को पूरा करने की जिम्मेदारी इस नेता को दी जा सकती है, जिसे मंत्री पद के बोझ से मुक्त कर दिया गया है।
लॉलीपॉप फ्लॉप
लोकसभा चुनाव में उन्होंने बगावत कर बारामती से नामांकन भरा तब उन्हें भरोसा दिया गया कि विधानसभा चुनाव जीतकर आने पर उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। इस तरह महायुति में फूट को टाला गया और सुनेत्रा पवार की जीत का रास्ता बनाया गया मगर फिर भी सुप्रिया सुले जीत गर्इं। अब जब सरकार बनी तो नेताजी का नाम मंत्री बननेवालों की सूची से गायब था। लिहाजा उनका बिफरना लाजिमी है। मजेदार बात यह है कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही दादा पर तब तंज कसा था, जब बारामती में भावी मुख्यमंत्री के तौर पर दादा की तस्वीर वाले पोस्टर-बैनर लगे थे। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री का पद दादा के नसीब में नहीं है। संयोग से दादा फिर उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं और पुरंदर का मछंदर मंत्री नहीं बन पाया है। खबर है कि उन्हें आनेवाले ढाई साल में मंत्री बनाने का लॉलीपॉप दिया गया था, जो उन्होंने मंजूर नहीं किया।
भारत माता की जय
गुजरात में एक सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ५८० नए नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इसके बाद ‘भारत माता की जय’ के पारंपरिक देशभक्ति नारे के बाद एक असामान्य सन्नाटा छा गया। अपना भाषण शुरू करने से पहले पटेल ने उत्साह की कमी को देखते हुए उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि यह नारा राजनीति नहीं, बल्कि देशभक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और सभी के लिए नारा लगाना उचित है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह नए कर्मचारियों को पार्टी के सिद्धांतों के साथ जुड़ने के लिए एक सूक्ष्म संकेत था।’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा
व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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