मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : जाट उम्मीद की ‘किरण’

झांकी : जाट उम्मीद की ‘किरण’

अजय भट्टाचार्य

आपातकाल के समय भाजपा के पूर्वजन्म अवतार जनसंघ का एक नारा बहुत परवान चढ़ा था कि नसबंदी के तीन दलाल, संजय-इंदिरा-बंसीलाल। उन्हीं बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी का भाजपा में शामिल होना कितना सही या गलत है, यह विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा। वैसे इस नए घटनाक्रम ने राजनीतिक विश्लेषकों को चर्चा करने को मजबूर कर दिया है कि क्या भाजपा से नाराज जाट अब उसका समर्थन देंगे। लोकसभा चुनाव में जाटों ने भाजपा को जो सबक सिखाया है, उसने किरण के प्रवेश के लिए भाजपा का द्वार खोलने में बड़ी भूमिका निभाई है। हरियाणा में लगभग २७ प्रतिशत जाट आबादी है। इसलिए हरियाणा की राजनीति अक्सर ही जाटों के इर्द गिर्द ही रहती है। २०१४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा १० और विधानसभा में ९० में ४७ सीटें जीतने के पीछे जाटों का बहुत बड़ा योगदान था। प्रदेश की ९० विधानसभा सीटों में से ४० पर जाट प्रभावी हैं। जाटों की नाराजगी की खबर के बीच भाजपा ने गैर जाट वोटर्स को साधना शुरू किया। २०११ की आबादी के अनुसार, प्रदेश में करीब ३५ फीसदी ओबीसी और २० प्रतिशत एससी आबादी है। भाजपा की ये रणनीति काफी हद तक सफल भी रही, लेकिन सिरसा से अशोक तंवर का हारना भाजपा के लिए झटका रहा।

जलगांव में महा तू-तू, मैं-मैं
तमाम राजनीतिक रफू के बावजूद महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गद्दार सेना और भाजपा के बीच चल रही चीड़फाड़ सामने आ ही जाती है। जलगांव जिले में विधानसभा चुनाव से पहले ही महायुति के बीच टकराव गहराता जा रहा है। पचोरा के गद्दार गुट के विधायक किशोर पाटील और भाजपा तालुका अध्यक्ष अमोल शिंदे के बीच विधानसभा में सीटों के बंटवारे से पहले ही नामांकन को लेकर यह तू-तू, मैं- मैं बढ़ती जा रही है। पाटील गद्दार सिपहसालार के करीबी हैं और अमोल शिंदे भाजपा नेता गिरीश महाजन के बहुत करीबी हैं। दोनों के बीच उम्मीदवारी को लेकर तलवारें खिंची हुई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अमोल शिंदे ने किशोर पाटील के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था, इसलिए जिले का गद्दार गिरोह लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के लिए काम करने को तैयार नहीं था। पाटील का कहना है कि यह मानते हुए भी विधानसभा चुनाव में भाजपा हमारे साथ नहीं होगी, जलगांव रावेर लोकसभा क्षेत्र में गद्दारमंडली ने काम किया और भाजपा की जीत हुई। अमोल का आरोप है कि विधायक द्वारा भाजपा के साथ हमेशा हीन व्यवहार किया जाता है और इसलिए पाटील को भाजपा के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। क्योंकि शिंदे ने उन पर जो आरोप लगाए हैं, वो महाराष्ट्र के सभी विधायकों पर लागू होते हैं इसलिए किशोर पाटील ने सवाल उठाया है कि क्या भाजपा अपने गुर्गों पर लगाम लगाएगी? भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे पिछली विधानसभा की तरह अमोल शिंदे की पीठ में खंजर घोंपकर उन्हें बाहर से समर्थन देना चाहते हैं या नहीं।

गोधरा से परेशान भाजपा
कुख्यात गोधरा कांड की यादों को मिटाने के वर्षों के प्रयास के बाद, यह शहर एक अलग कारण से फिर से चर्चा में है। गोधरा में एक नीट परीक्षा घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें पांच गिरफ्तारियां की गई हैं। घोटालेबाजों की कार्यप्रणाली का पता चला है और हजारों लोगों को प्रभावित करने वाले इस देशव्यापी घोटाले का गुजरात कनेक्शन सत्तारूढ़ पार्टी के लिए परेशान करने वाला है। एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने टिप्पणी की, `हर मुद्दे का गुजरात कनेक्शन लगता है और इस मामले का गोधरा से संबंध है। आइए उम्मीद करें कि यह पुरानी लपटों को फिर से न भड़काए। दूसरी तरफ नीट पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस द्वारा पकड़े गए सिकंदर के बयान ने देश की सबसे बड़ी परीक्षा को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। उसने ही प्रतिभागियों की पूरी प्लानिंग की थी। इस मामले में एक मंत्री का नाम भी सामने आ रहा है। सिकंदर इस वक्त दानापुर नगर परिषद में जूनियर इंजीनियर है। अब उसे निलंबन करने की कार्रवाई चल रही है। वह पहले से एलईडी घोटाले में मुख्य आरोपी है। वह रोहतास में भी जूनियर इंजीनियर था, जहां उसका नाम २.९२ करोड़ रुपए के हुए एलईडी घोटाले में आया था। उसने २५ से ३० अभ्यर्थियों के रुकने के लिए एक प्ले स्कूल और एनएचएआई के गेस्ट हाउस को बुक कर रखा था। उसने प्रत्येक अभ्यर्थियों से ४०-४० लाख रुपए की डील की थी। पटना के एयरपोर्ट के पास एनएचएआई के गेस्ट हाउस में छात्रों के रुकने के इंतजाम किए गए थे। सबसे बड़ी बात यह है कि गेस्ट हाउस के रजिस्टर पर मंत्री जी लिखा हुआ था। अभी तक यह सस्पेंस बरकरार है कि वह मंत्री जदयू कोटे का है या भाजपा कोटे का

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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