मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : दिल्ली में बागी

झांकी : दिल्ली में बागी

अजय भट्टाचार्य

विजयपुरा विधायक बसनगौड़ा पाटील यतनाल के नेतृत्व में भाजपा का ‘बागी’ खेमा मंगलवार से दो दिन दिल्ली में रहकर भाजपा के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को पद से हटाने की मांग कर सकता है। यह शीर्ष नेतृत्व से चुनाव के जरिए नया अध्यक्ष चुनने पर भी जोर देगा। यतनाल खेमा तेजी से आगे बढ़ रहा है, यह मानते हुए कि पार्टी जल्द ही सर्वसम्मति से विजयेंद्र के अध्यक्ष पद की घोषणा कर देगी, क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव का मतदान समाप्त हो चुका है। पार्टी के कर्नाटक संगठनात्मक चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान घोषणा करने पहुंच सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यतनाल और उनके समर्थक प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने के लिए हाईकमान को राजी कर पाते हैं या नहीं। अगर शीर्ष नेतृत्व मान जाता है तो बागी खेमा विजयेंद्र के खिलाफ अपना उम्मीदवार घोषित कर सकेगा।
पाटील का इस्तीफा
कर्नाटक के वरिष्ठ नेता बीआर पाटील ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे एक बार फिर राज्य कांग्रेस में मची उथल-पुथल और सत्ता के अंदरूनी समीकरण सामने आ गए हैं। सिद्धारमैया के कट्टर समर्थक माने जानेवाले पाटील ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है, जब कांग्रेस में सत्ता संघर्ष की स्थिति है। पिछले महीने सिद्धारमैया समर्थक नेताओं द्वारा आयोजित रात्रिभोज बैठकों में यह मुद्दा उठा था। इस खींचतान के केंद्र में कथित सत्ता-साझाकरण समझौता है, जिसमें बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद का फॉर्मूला है। सिद्धारमैया ने इसके अस्तित्व से बार-बार इनकार किया है। पाटील कलबुर्गी क्षेत्र से हैं, जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ है। पाटील के खड़गे के बेटे और राज्य मंत्री प्रियांक खड़गे के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं।
क्लर्क नहीं बनना
एक समय था जब अधिकारी मंत्रियों के निजी सचिव (पीएस) या निजी सहायक (पीए) के पद के लिए होड़ में रहते थे, क्योंकि इन पदों पर बहुत प्रभाव होता था। हालांकि, अब यह चलन उलट गया है। गुजरात में बहुत से अधिकारी मंत्रियों के साथ काम करने के लिए उत्सुक नहीं हैं। हाल ही में कुछ मंत्रियों के निजी कर्मचारियों को बदल दिया गया, लेकिन उनके उत्तराधिकारी कथित तौर पर अपनी नई भूमिकाओं से नाखुश हैं। दो अधिकारियों ने तो अपने विभागों में वापस भेजे जाने का अनुरोध भी किया है। उनका कहना है कि मंत्रियों के पास सिफारिशों को संभालने के अलावा कोई काम नहीं है, जिसे एक क्लर्क भी संभाल सकता है। मंत्रियों के पास सिफारिशें कौन भेजता है, यह कोई नहीं बताता पर जानते सब हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा
व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

अन्य समाचार