अजय भट्टाचार्य
राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के ७ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की प्रतिध्वनि अमेठी और रायबरेली में सुनी जा रही है। क्रॉस वोटिंग में शामिल विधायक अमेठी और रायबरेली से जीते हैं। माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव में दोनों सीटों पर जीत दर्ज करना कांग्रेस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होनेवाला है। सपा के जिन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की उसमें मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, राकेश पांडेय, अभय सिंह, आशुतोष मौर्य, विनोद चतुर्वेदी और पूजा पाल शामिल हैं। इनमें से मनोज पांडेय रायबरेली के ऊंचाहार और राकेश प्रताप सिंह अमेठी के गौरीगंज से विधायक हैं। इनके दोनों के क्रॉस वोटिंग से अमेठी और रायबरेली की सियासत पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। मनोज पांडेय ऊंचाहार के सबसे लोकप्रिय सपा नेता माने जाते थे। यही वजह थी कि सपा ने उन्हें विधानसभा में चीफ व्हिप यानी मुख्य सचेतक बनाया था। राकेश प्रताप सिंह भी सपा के दमदार नेता माने जाते थे। दोनों का अपना-अपना वोटबैंक है। अब इनके पाला बदल लेने से सपा के साथ ही कांग्रेस को भी गहरा झटका लगा है। रायबरेली में कांग्रेस ने ठाकुर और ब्राह्मण दोनों बिरादरी को अपने साथ जोड़ रखा था। अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह उसके दो लोकप्रिय नेता थे, लेकिन अब दोनों ने कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ दिया है। भाजपा ने रायबरेली में २०१७ से ही सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी थी। उसने पहले तो प्रमुख ठाकुर चेहरों को अपनी तरफ किया, अब मनोज पांडेय के रूप में ब्राह्मण चेहरे को भी अपने पाले में कर लिया। मनोज पांडेय ने ब्राह्मणों को अपने साथ रखकर सोनिया गांधी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। यही वजह थी कि जब उनका गृह प्रवेश हुआ तो सोनिया खुद ऊंचाहार पहुंची थीं।
बागियों को सजा
हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव में पाला बदलने वाले ६ कांग्रेस विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया का डंडा चला है। पठानिया ने क्रॉस वोटिंग करनेवाले कांग्रेस के ६ बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है। पठानिया के मुताबिक इन विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन और जनादेश का अपमान किया है। जिन विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है, उनमें राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, देवेंद्र सिंह, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा और इंदर दत्त लखनपाल शामिल हैं। कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत सभी ६ विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी। माना जा रहा है कि बागी विधायक अब हाई कोर्ट जा सकते हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कल सुबह के नाश्ते पर शिमला में सभी कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई थी। छह विधायकों के पाला बदलने और भाजपा के संपर्क में होने के बाद हिमाचल की सुक्खू सरकार संकट का सामना कर रही है। राज्य की ६८ सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के ४० विधायक हैं, जबकि भाजपा के २५ विधायक हैं, बाकी तीन सीटों पर निर्दलियों का कब्जा है।
वाईएसआरसी को एक और झटका
आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआरसी को एक और झटका देते हुए ओंगोल के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बताया जाता है कि वे चंद्रगिरि विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी को ओंगोल लोकसभा क्षेत्र प्रभारी नियुक्त किए जाने से नाखुश हैं। इससे पहले वाईएसआरसी के लोकसभा सांसद डॉ. एस. संजीव कुमार (कुर्नूल), लावु श्री कृष्ण देवरायलू (नरसारावपेट), र. वल्लभनेनी बालाशोवरी (मछलीपट्टनम) और राज्यसभा सांसद वेमीरेड्डी प्रभाकर रेड्डी ने नेतृत्व के ‘उदासीन’ रवैये से नाखुश होकर पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। ११ बार चुनाव लड़ चुके श्रीनिवासुलु आठ बार सांसद के रूप में और दो बार विधायक के रूप में चुने जा चुके हैं। १९९१ में उनके बड़े भाई स्व. मगुंटा सुब्बारामी रेड्डी ने ओंगोल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। मगुंटामगुन्ता इस सीट पर अपने बेटे राघव रेड्डी को उतारना चाहते हैं, जबकि पार्टी प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने भास्कर रेड्डी को क्षेत्र का प्रभारी बनाकर सीधा संदेश दिया कि अब मगुंटा के लिए अगले चुनाव में कोई जगह नहीं है। मगुंटा श्रीनिवासुलु इस सीट पर अपने बेटे राघव रेड्डी के लिए दावा कर रहे थे। अपने इस्तीफे की घोषणा के समय भी वे यही बोले कि मैं जिले के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे हमारे बेटे मगुंटा राघव रेड्डी पर व हमारे परिवार पर वही प्यार और स्नेह बरसाएं, जो आगामी चुनावों में ओंगोल लोकसभा सीट से लड़ने जा रहा है। मेरे परिवार के साथ-साथ मेरे बेटे को भी आनेवाले चुनाव में लोगों के आशीर्वाद और समर्थन की जरूरत है। हम जल्द ही आगे के विवरण का खुलासा करेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)