मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : विपुल अग्रवाल को फिर ‘इनाम'

झांकी : विपुल अग्रवाल को फिर ‘इनाम’

अजय भट्टाचार्य

गुजरात में एनकाउंटर मामलों से चर्चित हुए विपुल अग्रवाल को एक बार फिर इनाम मिला है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक एक सप्ताह पहले, २००१ बैच के आईपीएस अधिकारी को पांच साल की अवधि के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के प्रधान आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। भाजपा आलाकमान के करीबी अग्रवाल को तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए राज्य सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के बाद बहाल कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें दिल्ली में तैनात किया गया और उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निदेशक और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उप सीईओ सहित विभिन्न पदों पर स्वास्थ्य क्षेत्र में काम किया। उनके पास आयुष्मान भारत योजना को लागू करने की जिम्मेदारी थी। एक पुलिसकर्मी से उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र की ओर रुख किया है और स्वास्थ्य क्षेत्र में पीएचडी भी कर रहे हैं।

प्रह्लाद जोशी को हराओ
कर्नाटक की सभी २८ लोकसभा सीटें जीतने के भाजपा के सपने को पलीता लग गया है। शिराहट्टी फकीरेश्वर मठ के मठाधीश दिंगलेश्वर स्वामी ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को चुनाव में हराने की घोषणा की है। इस संबंध में बीते कल यानी २ अप्रैल को स्वामी ने मठ के भक्तों की राय जानने के लिए एक बैठक बुलाई थी। दिंगलेश्वर स्वामी ने खुले तौर पर कहा है कि उनका ‘लक्ष्य प्रह्लाद जोशी को हराना है।’ उन्होंने कहा कि मैं अपने आप नहीं बोल रहा हूं, मैं केवल उन लोगों की आवाज का माध्यम बन रहा हूं, जिन्होंने प्रह्लाद जोशी के हाथों दर्द सहा है। उनका प्रशासन विनाशकारी रहा है। अपना रुख बदलने से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। दिंगलेश्वर स्वामी का आह्वान अन्य लिंगायत समुदाय प्रमुखों-जैसे शक्तिशाली लिंगायत पंचमसालिस, लिंगायत नोलाम्बा समुदाय और लिंगायत बनिजा समुदाय द्वारा प्रतिनिधित्व की कमी के बारे में नाराजगी की अभिव्यक्ति की पृष्ठभूमि में आया ह ै कि वरिष्ठ नेता जगदीश शेट्टार के साथ उचित व्यवहार नहीं किया गया है। वीरशैव महासभा, धारवाड़ इकाई और अखिल भारतीय वीरशैव समाज की सचिव रेणुका प्रसन्ना ने कहा कि वे स्वामीजी का समर्थन करेंगे, इससे जोशी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में लगभग सात लाख लिंगायत हैं। ३० वर्षों में यह पहली बार है कि लिंगायत स्वामी चुनावों के दौरान भाजपा के खिलाफ बोले हैं। उनकी नाखुशी का असर उत्तरी कर्नाटक की पांच सीटों पर पार्टी पर पड़ सकता है।

प्रसाद का प्रभाव
एक रणनीतिक व राजनीतिक घटनाक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया चामराजनगर के सांसद श्रीनिवास प्रसाद की कांग्रेस पार्टी के प्रति राजनीतिक निष्ठा में एक महत्वपूर्ण बदलाव की योजना बना रहे हैं। प्रसाद के कई वफादारों और परिवार के सदस्यों द्वारा भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने की विशेषता वाले इस बदलाव को लोकसभा चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम तब आया है जब मंत्री डॉ. एचसी महादेवप्पा और उनके बेटे सुनील बोस सहित कांग्रेस नेता मैसूर-कोडागु लोकसभा क्षेत्र में एम लक्ष्मण के साथ चामराजनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अपने पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर में सभी दलों के नेताओं के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने वाले प्रसाद ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की भी घोषणा की है। प्रसाद के दामाद डॉ. मोहन को भाजपा से टिकट न मिलने ने के बाद उन्होंने कांग्रेस की टिकट के लिए सिद्धारमैया से संपर्क किया। लेकिन सिद्धारमैया ने टिकट न देकर मोहन को पार्टी गतिविधियों में अच्छी भागीदारी निभाने को कहा। प्रसाद के एक और दामाद व भाजयुमो के उपाध्यक्ष धीरज हाल ही में कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इससे चामराजनगर और मैसूर दोनों लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने का अनुमान है, जिससे कांग्रेस के लिए पर्याप्त दलित वोट हासिल करने के लिए एक लोकप्रिय दलित नेता के रूप में श्रीनिवास प्रसाद के प्रभाव का लाभ उठाया जा सकेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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