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तड़का : भरोसे पर हमला

कविता श्रीवास्तव

जम्मू-कश्मीर के रियासी क्षेत्र में तीर्थयात्रियों की बस पर हुआ आतंकवादी हमला अत्यंत ही घिनौनी करतूत है। यह हमला इन रमणीय शीतल वादियों में बड़े ही उत्साह से पहुंचनेवाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों में भय बढ़ाने की कोशिश है। जम्मू-कश्मीर में प्रतिवर्ष तीर्थयात्रा और पर्यटन के लिए भारी संख्या में लोग उमड़ते हैं। पर्यटन का व्यवसाय जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा आर्थिक स्रोत है। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन और तीर्थयात्रा के उद्देश्य से पहुंचने वाले वाहनों, होटलों, खान-पान और स्थानीय वस्तुओं की खरीदारी पर भारी रकम खर्च करते हैं। पर्यटन का लुत्फ उठाने पर भी लोग खूब खर्च करते हैं। इससे जम्मू-कश्मीरवासियों और वहां के राजस्व को अच्छा-खासा लाभ प्राप्त होता है। इसीलिए जम्मू-कश्मीर के आम लोग पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की हमेशा ही अगवानी और आवभगत करते दिखते हैं। वे अच्छी सेवाओं के लिए भी जाने जाते हैं। इसलिए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की गतिविधियों के बावजूद पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को खतरा नहीं रहा है, फिर भी आतंकवादियों ने कई बार तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने के प्रयास किए हैं। रियासी क्षेत्र का ताजा हमला वाले देशी-विदेशी सैलानियों को हतोत्साहित करने जैसा है। यह बड़ी साजिश भी लगती है। अभी पवित्र अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने को है। ऐसे में इस हमले ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। हमारी सेनाओं और सुरक्षाबलों को अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा करना चुनौतीपूर्ण रहेगा। बीते कुछ समय से सेना ने आतंकवादियों से मुठभेड़ करके उनकी कमर तोड़ने का क्रम जारी रखा है। ताजा हमला पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के भरोसे को तोड़ने जैसा है। आतंकवादी हमले का शिकार बने तीर्थयात्री भगवान शिव की पवित्र गुफा शिवखोरी से लौट रहे थे। हमले में नौ लोगों की मौत हो गई और ३३ लोग घायल हुए हैं। यह सुनियोजित हमला बताया जाता है। आतंकवादी पहले से घात लगाकर बैठे थे। उन्होंने निहत्थे लोगों को घेरकर निशाना बनाया। यह साधारण हमला नहीं है। यह आतंकवादियों की उस सोच की ओर इशारा करता है, जो जम्मू-कश्मीर में आनेवाले तीर्थयात्रियों में भय पैदा करना चाहते हैं। हम सब जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में बाबा अमरनाथ गुफा, मां वैष्णो देवी धाम, शिवखोरी, शंकराचार्य मंदिर, खीर भवानी मंदिर, रघुनाथ मंदिर, मार्तंड सूर्य मंदिर, शारिका देवी मंदिर, जामवंत गुफा मंदिर सहित अनेक तीर्थस्थल हैं। जम्मू-कश्मीर भारत के राजशाही घरानों की रियासत रही है। वहां राजाओं का साम्राज्य रहा है। कश्मीरी पंडित कश्मीर के मूल निवासी रहे हैं, लेकिन अंग्रेजी शासन, आजादी के आंदोलन तथा देश के विभाजन और स्वतंत्रता के बाद वहां की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। भारत-पाकिस्तान के तल्ख रिश्ते कश्मीर में आतंकवाद पैâलने की मूल वजह है। अब हमारी सरकार वहां नियम-कानून में बदलाव लाकर स्थानीय लोगों को देश की मूल धारा से जोड़ने की कोशिशें कर रही है। यही आतंकवादियों को रास नहीं आ रहा है।

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