मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : काली-पीली की खाली-पीली ...रोकेगी ई-बाइक

तड़का : काली-पीली की खाली-पीली …रोकेगी ई-बाइक

कविता श्रीवास्तव

मुंबई की सड़कों पर तमाम वाहनों के बीच ई-बाइक्स का कारवां भी धूम मचा रहा है। कूरियर कंपनियों, गिग वर्कर्स और डिलिवरी कर्मचारियों में ई-बाइक्स का उपयोग खूब लोकप्रिय हो गया है। वे अन्य वाहनों के बीच से इतनी फुर्ती से निकल जाते हैं कि ट्रैफिक में फंसे लोग उन्हें देखकर हैरान हैं। इसी बीच महाराष्ट्र शासन ने मुंबई महानगर तथा पूरे राज्य में यात्री सेवा के लिए ई-बाइक्स टैक्सी चलाने की योजना को हरी झंडी दे दी है। काली-पीली टैक्सी और ऑटोरिक्शा की मनमानी से परेशान आम आदमी अब ई-बाइक सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। इससे मुंबई में लगभग दस हजार और पूरे राज्य में लगभग बीस हजार रोजगार सृजन होने का अनुमान लगाया गया है। सरकार लगभग ५० ई-बाइक्स रखनेवाले एग्रीगेटर को ई-बाइक टैक्सी सेवा प्रदान करने का लाइसेंस देगी। इस नई पहल से यात्रियों को लोकल ट्रेन, मेट्रो, बेस्ट बस, टैक्सी और ऑटो के साथ-साथ ई-बाइक टैक्सी की भी सुविधा मिलेगी। इस योजना का टैक्सी और ऑटो यूनियंस ने विरोध किया है। उनकी दलील है कि इससे उनकी सेवाओं पर असर पड़ेगा और उनका व्यवसाय कम हो जाएगा। वैसे मुंबई में ई-बाइक्स को लेकर कई विवाद रहे हैं, जिनमें सुरक्षा, अवैध संचालन और ट्रैफिक जाम प्रमुख मुद्दे हैं। हम देखते हैं कि ई-बाइक चलाने वाले हेलमेट नहीं पहनते हैं। वाहन की भार क्षमता से अधिक सामान ढोते हैं। बेफिक्र होकर मनमानी गति और गैरजिम्मेदाराना तरीके से वाहन चलाते हैं। वे अन्य वाहनों को पीछे छोड़ देते हैं। उनकी लापरवाह ड्राइविंग सड़कों पर हर जगह दिखती है। ई-बाइकर्स ट्रैफिक सिग्नल का पालन भी नहीं करते हैं। इसका कारण है उनका पंजीकरण न होना। इस कारण यातायात नियम उन पर लागू नहीं होते हैं। हालांकि, यातायात पुलिस द्वारा भारतीय न्याय संहिता के तहत अनेक ई-बाइक चालकों को दंडित भी किया गया और कुछ ई-बाइक जब्त भी की गईं। चालकों को पकड़ा भी जाता है और जुर्माना भी वसूला जाता है। उल्लेखनीय है कि पेट्रोल और डीजल से निकलने वाले धुएं का प्रदूषण कम करने के लिए ई-वाहनों की उपयोगिता बढ़ी है। भारत में २५० वाट से ज्यादा बिजली पैदा करनेवाली मोटर वाली इलेक्ट्रिक बाइक के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। अगर इलेक्ट्रिक बाइक २५ किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार पकड़ सकती है, तो ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी है। २५ सीसी या उससे कम इंजन वाली इलेक्ट्रिक साइकिलें, जिनमें आगे और पीछे कार्गो स्पेस होता है, उन्हें साइकिल के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। वे २५ किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार पकड़ सकती हैं, वे मोटर वाहन अधिनियम या ट्रैफिक नियमों के तहत नहीं आती हैं और उन्हें चलाने के लिए ड्राइवर के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। इसीलिए ये दोपहिया ई-बाइक हर जगह धड़ल्ले से चलती हैं। अब ई-बाइक टैक्सी के आने से सड़कों पर दोपहिया वाहनों का मेला सा दिखाई देगा। इससे काली-पीली की खाली-पीली यानी उनकी मनमानी भी कम होगी।

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