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तड़का: कांग्रेसी एलान बीजेपी परेशान

कविता श्रीवास्तव

लोकसभा के अंतिम चरण का चुनाव समाप्त होते ही तमाम टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल दिखाने की होड़ सी लग गई है। बहस-चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कांग्रेस ने खुद को इससे अलग रखा है। कांग्रेस ने सुबह ही एलान कर दिया था कि वह एग्जिट पोल की चर्चा में शामिल नहीं होगी। कांग्रेस चार जून को वास्तविक नतीजे आने के बाद चर्चा करेगी। एग्जिट पोल मतदान के बाद मतदाताओं से की गई बातचीत के आधार पर तैयार होते हैं। इन सर्वेक्षणों के सटीक होने की कोई गारंटी नहीं होती है। यह पूर्वानुमान भी कहा जा सकता है। कई बार एक्जिट पोल के नतीजे वास्तविक नतीजे से मेल भी खाए हैं, लेकिन वे गलत भी साबित हुए हैं। टीवी वालों के लिए एग्जिट पोल दिखाना उनकी बहुत बड़ी महत्वाकांक्षा भी रहती है। इससे चैनलों की टीआरपी बड़ी तेजी से बढ़ती है। ढेर सारे लोगों को इन अनुमानित नतीजों को जानने की प्रतीक्षा भी रहती है। वैसे अक्सर देखा गया है कि एग्जिट पोल के दौरान होने वाली चर्चाओं और एंकरों की टिप्पणियों को लेकर भी विरोधाभास होते हैं। कई बार एग्जिट पोल पर चर्चा के दौरान सत्ताधारी पक्ष की बजाय विपक्ष को कोसा जाने लगता है। विपक्ष पर ही सारी गलतियों का दोषारोपण होने लगता है। इसीलिए इस बार कांग्रेस ने इन एग्जिट पोल से ही दूरी बना ली है, ताकि फालतू की बातों से किनारा ही कर लिया जाए। जब वास्तविक एवं अधिकृत नतीजे आएंगे, तब विस्तार से उसे पर विचार मंथन और चर्चाएं की जाएंगी। एग्जिट पोल निजी कंपनियां, कुछ समाचार पत्र और समाचार चैनल अपनी ओर से करवाते हैं। इन्हें बहुत भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता है। इन पर विचार करना और इन पर चर्चा करना, न करना अपना स्वयं का निर्णय है। कांग्रेस यदि इन एग्जिट पोल को भाव नहीं देती है तो यह उसका अपना निर्णय है। उस पर दबाव नहीं डाला जा सकता। जिस तरह से कई टीवी चैनल किसी पार्टी विशेष की तरफदारी करने लगते हैं, उससे तो बेहतर है कि उससे दूर हो जाओ। ठीक उसी तरह जिस तरह कई लोग ऐसे चैनलों पर निर्भर रहने की बजाए चैनल ही बदल देते हैं। ताज्जुब तो इस बात का है कि कांग्रेस के इस बहिष्कार से बीजेपी परेशान होती दिख रही है। इतनी परेशान कि उसके अध्यक्ष जेपी नड्डा और उसके बड़े नेता अमित शाह को बयान देने सामने आना पड़ा। एग्जिट पोल से वास्तविक चुनावी परिणाम के पहले कुछ हलचल और राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ा दिया जाता है। इससे दूरी बनाकर कांग्रेस ने एक तरह से चैनलों की मनमानी और तरफदारी पर अपना विरोध ही दर्शाया है। शायद यही भाजपा को राज नहीं आ रहा, तभी तो वह परेशान है।

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