कविता श्रीवास्तव
मुंबई के एक स्कूल के बाहर एक साहसी मां ने एक वहशी व्यक्ति को अपनी नन्हीं बच्ची को गलत तरीके से छूने और अश्लीलता करने के आरोप में पकड़ा है। वह स्कूल के आस-पास छात्राओं की भीड़ में घुसकर गंदी हरकतें करता था। पीड़ित बच्ची ने जब अपनी मां को यह बात बताई तो उसकी मां ने नजर रखी और आरोपी को ऐसा करते हुए स्वयं देखने के बाद उसे दौड़ाकर धरदबोचा। फिर सबकी मदद से उसे पुलिस के हवाले किया। अफसोस है कि कोई वहशी ऐसी हरकतें खुले आम करने का साहस वैâसे करता है? कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक द्वारा अपनी छात्रा के साथ ऐसी हरकतें करने का मामला भी सामने आया था। स्कूलों में जाने वाली बच्चियों के साथ ऐसी हरकतें होने की अक्सर शिकायतें सुनने को मिलती हैं। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि स्कूली छात्राओं पर बुरी नजर रखने वालों की मौजूदगी हमारे समाज में है। ऐसे लोगों पर सख्त नजर रखने के लिए स्कूल प्रशासन के साथ ही माता-पिता, अभिभावकों को भी हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता है। ऐसा अपराध करने की कुछ लोगों की प्रवृत्ति होती है। जब ऐसा अपराध करने में वे सफल हो जाते हैं तो यह उनकी आदत बन जाती है और मासूम लोग उनका टारगेट होते हैं। वे शिकार भी बन जाते हैं। कई बार बच्चियां शर्म के कारण या भय के कारण ऐसी बातें अपने माता-पिता, अभिभावकों या टीचर को नहीं बताती हैं। इसी का अपराधी फायदा उठाते हैं इसलिए बच्चों में इसके खिलाफ व्यापक जनजागरण अभियान चलाना चाहिए। उन्हें इससे बचने के उपाय बताने चाहिए। मुझे याद है बीते दिनों मुंबई पुलिस द्वारा विभिन्न स्कूलों में इस प्रकार की हरकतों को लेकर विद्यार्थियों में जनजागरण पैâलाने का अभियान चलाया गया था। ऐसे अभियान स्कूली स्तर पर और सामाजिक स्तर पर निरंतर होते रहने चाहिए। यह जरूरी नहीं कि हर बार कोई पीड़िता अपनी मां को यह बात बता पाए और उसकी मां भी इतनी फुर्तीली हो वह अपराधी को दौड़ाकर पकड़ सके। हमें तो ऐसी माता पर गर्व करना चाहिए, जिसने मुंबई में अपनी हिम्मत दिखाई और अपने साहस का परिचय दिया। उसने जिस फुर्ती से उस आरोपी को पकड़ा, उससे समाज में यह संदेश जाता है कि अपराध करने वाला यह न समझे कि वह बच पाएगा। वह जरूर पकड़ा जाएगा और उस पर कानूनी कार्रवाई भी होगी। समाज में भी लोगों को ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए। सुकोमल कन्याएं हमारे देश की भावी महिलाशक्ति हैं। हमारे देश में वैसे भी कन्याओं को पूजा जाता है। उन्हें देवी मां का दर्जा दिया जाता है। सरकार ने कन्याओं को आगे बढ़ाने के लिए और महिलाओं का सशक्तीकरण करने के लिए भी अनेक योजनाएं बनाई हैं। हम सबका सामाजिक दायित्व है कि हम अपने इर्द-गिर्द नजर रखें और सतर्क रहने का सामाजिक दायित्व भी निभाते रहें।