कविता श्रीवास्तव
क्रिकेट के खेल में बहुत ही प्रतिष्ठा का स्थान रखने वाला इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) टूर्नामेंट का इस साल का सत्र कुछ दिन पहले शाहरुख खान की टीम `कोलकाता नाइट राइडर्स’ की विजय के साथ समाप्त हुआ। फाइनल मैच में सनराइजर्स हैदराबाद टीम की पराजय हुई। सनराइजर्स हैदराबाद की सहमालिक काव्या मारन अपनी टीम की इस पराजय पर इतनी आहत हुर्इं कि वे वहीं स्टेडियम में ही ़फूट-फूट कर झर-झर आंसू बहाने लगीं। उन्होंने मीडिया के वैâमरों से अपना मुख मोड़ लिया। अपनी टीम के फाइनल में पहुंच कर हार जाने पर उनकी यह भावना बहुत ही स्वाभाविक है। लेकिन इस पराजय के बाद अमिताभ बच्चन ने उनके बहते आंसुओं को थामने की कोशिश की है। उन्होंने बेहद संवेदना भरे शब्दों में काव्या के बहते आंसुओं पर खुद के द्रवित होने की बात कही। उन्होंने कहा कि बहुत कम उम्र की इस उत्साही युवा को इस तरह रोते देखना उन्हें बहुत बुरा लगा। अपनी पोस्ट में अमिताभ बच्चन ने आगे यह भी कहा कि ऐसी पराजय से कभी भी स्वयं को परास्त महसूस नहीं करना चाहिए। आगे और भी राहे हैं। आगे के संघर्ष के लिए तैयार होने की उन्होंने प्रेरणा दी। हम सब जानते हैं कि इस सदी के मेगास्टार अमिताभ बच्चन सफलताओं के शीर्ष पर रहे हैं। वैसे एक वक्त आया था जब, उनका अपना करियर लगभग समाप्त हो चुका था लेकिन उन्होंने पुन: संघर्ष किया। वे टीवी शो पर आए। ढेर सारे विज्ञापन किए, फिर धड़ाधड़ फिल्में भी मिलती गर्इं। आज वे बेहद सक्रिय और व्यस्त कलाकार हैं। जल्द ही उनकी नई फिल्म `कल्कि २८८९’ भी आने वाली है। अपने जीवन के अनुभवों से काव्या मारन के लिए प्रेरणात्मक संदेश लिखना अमिताभ बच्चन की सकारात्मक सोच का उदाहरण है। हम जानते हैं कि खेल में हार-जीत होती रहती है। आईपीएल हर साल होता है। लोग इसमें अच्छे प्रदर्शन के साथ ही विजय पाने की सालभर उम्मीद रखते हैं। आईपीएल में खिलाड़ियों की बोली लगाकर टीमें बनार्इं जाती हैं। इसमें बहुत पैसा लगता है इसलिए इसे प्रतिष्ठा से भी जोड़ा जाता है। कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक शाहरुख खान ने भी कई बार पराजय का मुंह देखा है। इस साल अव्वल दर्जे के उद्योग घराने की कलाप्रेमी और मुंबई इंडियंस टीम की मालिक नीता अंबानी ने भी पराजय देखा। यह खेल का हिस्सा है, लेकिन काव्या की अपनी टीम से दिल्लगी उनकी आंतरिक संवेदना को दर्शाती है। इस भाव को जब अमिताभ बच्चन जैसा कोई बड़ा सेलिब्रिटी समझता है और उसे हम लोगों के बीच शेयर करता है तो यह इंसानी जज्बातों की अभिव्यक्ति का बेहतरीन उदाहरण ही है। इस पर मुझे किशोर कुमार का गाया हुआ गाना याद आता है…
`रोना…कभी नहीं रोना,
चाहे टूट जाए, कोई खिलौना…